Book Title: Buddhisagar Author(s): Sangramsinh Soni Publisher: Shrutbhuvan Sansodhan Kendra View full book textPage 9
________________ संशोधन का उद्देश्य जैन संस्कृत वाङ्मय के नीतिशास्त्र के ग्रंथ आज भी अधिकतर प्रकाशित नहीं हुए। इसी के साथ इस ग्रंथ के कर्ता अल्पपरिचित है। सामान्यरूप से जैन वाङ्मय के ग्रंथकर्ता साधु-आचार्य ही रहते है। मात्र इस ग्रंथ के कर्ता संग्रामसिंह सोनी गृहस्थ है। इस ग्रंथ से संग्रामसिंह सोनी की जानकारी मिलती है। इस कारण से भी यह ग्रंथ महत्त्वपूर्ण है। इस संशोधन के कारण जैन संस्कृत साहित्य के इतिहास में महत्त्वपूर्ण योगदान होगा। संशोधन के आवश्यक साधन प्रस्तुत संशोधन के लिए इस ग्रंथ के विविध भंडार में से कुल आठ हस्तप्रतों का उपयोग किया है। जिनरत्नकोश में बडोदा, सुरत, महेसाणा, खंभात आदि स्थान में भी इस ग्रंथ की हस्तप्रत का उल्लेख है। मद्रास विश्वविद्यालय के ओर से प्रकाशित NCC (National Catalogues Catalogrum) सूचिपत्र के चौदवें (१४) खंड के अनुसार लाहोर (पंजाब) जैन भंडार, Archibald Edward Grough कलकत्ता आदि स्थानों पर इस हस्तप्रत का उल्लेख है। हस्तप्रत का भौतिक विवरण १) हस्तप्रत भंडार का नाम- भांडारकर प्राच्यविद्या संशोधन संस्था, पुणे हस्तप्रत का संक्षिप्त नाम- भां२९६, हस्तप्रत का संदर्भाक- १८७१-७१/२९६, पत्रसंख्या- १५ (पूर्ण), प्रतिपृष्ठ पंक्तिसंख्या- ११, प्रतिपंक्ति अक्षरसंख्या- ४८, स्थिति- उत्तम, लेखन प्रशस्ति- नहीं है। २) हस्तप्रत भंडार का नाम- ओरिएन्टल इन्स्टिट्यूट(संस्कृत विभाग), महाराज सयाजीराव युनिवर्सिटी, बडोदा, गुजरात। हस्तप्रत का संक्षिप्त नाम- ओ २८७८, हस्तप्रत का संदर्भाक- २८७८, पत्रसंख्या- २९,प्रतिपृष्ठ पंक्तिसंख्या- ९, प्रतिपंक्ति अक्षरसंख्या- २८, स्थिति- उत्तम, लेखन प्रशस्ति॥शार्दूलविक्रीडितम॥ अस्ति श्रीवटपत्तने क्षितिपतिः श्रीमान् मनीषी वशीकर्तुं पुस्तकसङ्ग्रहं धृतरतिर्ग्रन्थालये वै निजे। भर्ता गुर्जरनीवृतोऽखिलकलाविद्यादिरक्तः सदा ख्यातो यश्च शियाजिराववसुधाधीशो गुणैरुज्ज्वलैः॥१॥ ॥उपगीति। तच्छिष्यो गोसाई यस्वन्तभारतीशिष्यः। नारायणपदपूर्वो भारतीः कोविदप्रसङ्गी॥२॥ ॥अनुष्टुप्।। व्योमवेदाङ्कशुभ्रांशुसख्येषु हायनेषु च। गतेषु विक्रमान्नूनं दुर्मुखाभिधवत्सरे॥३॥ माघमासेऽसिते पक्षे तृतीयायां गुरोर्दिने। पत्तनेऽसोऽणहिल्लाख्ये ग्रन्थमेतमलीलिखत्॥४॥ ग्रन्थाग्रन्थश्लोकसङ्ख्या ४०२। ३) हस्तप्रत भंडार का नाम- आ. श्री. कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर, श्री महावीर जैन आराधना केंद्र, कोबा, गांधीनगर, गुजरात।Page Navigation
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