Book Title: Bhikshu Mahakavyam Part 02 Author(s): Nathmalmuni, Nagrajmuni, Dulahrajmuni Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 8
________________ काव्यनायक आचार्य भिक्षु का संक्षिप्त जीवन-वृत्त I I आचार्य भिक्षु का जन्म वि० सं० १७८३ में आषाढ़ शुक्ला त्रयोदशी के दिन राजस्थान मरूप्रदेश के कंटलिया ग्राम में हुआ। उनके पिता का नाम बल्लूशाह और माता का नाम दीपां था। जब वे गर्भ में आए उस रात्री में माता दीपां न केसरीसिंह का स्वप्न देखा । बालक का नाम 'भीखण' रखा गया । बचपन से ही भीखण बहुत तेजतर्रार और विवेक संपन्न थे । उस समय शिक्षा की आज जैसी सुविधाएं नहीं थीं । वे गांव की पाठशाला में पढ़े । 'महाजनी' विधा में वे प्रवीण हुए। बड़े-बड़े लोग भी उनसे 'महाजनी ' संबंधी वाद-विवाद करने में घबराते थे । उनमें धर्म के संस्कार उभरते गए । वैराग्य बढ़ता गया । दुकानदारी करते हुए भी वे धर्म ध्यान में लीन रहने लगे । उन्होंने यौवन में प्रवेश किया। माता-पिता ने उनको विवाह - सूत्र में बांध दिया । 'बगड़ी' गांव की कन्या 'सुगनी' बाई से उनका पाणिग्रहण हुआ । एक पुत्री का जन्म हुआ । पति-पत्नी धर्मध्यान की ओर अग्रसर होते रहे। दोनों ने दीक्षा लेने का मन बना लिया । ब्रह्मचर्य व्रत स्वीकार कर लिया और अपने आपको तपाने के लिए 'एकान्तर' तप प्रारम्भ कर दिया । अनेक स्तुतियां और 'थोकड़े' कंठस्थ किये । वैराग्य वृद्धिंगत होता गया । लोग उनके वैराग्य से अभिभूत थे और ज्ञान तथा तर्क का लोहा मानते थे । जीवन में एक मोड़ आया । पत्नी का आकस्मिक निधन हो गया । माता ने दूसरा विवाह कर लेने के लिए कहा, परंतु भीखनजी ने इनकार करते हुए दीक्षित होने की भावना व्यक्त की । माता सोच में पड़ गई । भीखनजी ने अनेक धार्मिक संस्थानों को टटोला। उन धार्मिक संस्थानों में स्थानकवासी संप्रदाय के प्रभावी आचार्य रघुनाथजी का संघ उन्हें रुचा और वहीं प्रव्रजित होने का मन बनाया । माता दीक्षा की आज्ञा देने के लिए तैयार नहीं थी । आचार्य रघुनाथजी को यह ज्ञात हुआ तब वे स्वयं भीखनजी के घर आए और मां दीपां से आज्ञा देने की बात कही। मां दीपां बोली- 'गुरुदेव ! भीखन के जन्म से पूर्व मैंने केसरीसिंह का स्वप्न देखा था । मैंने मन ही मन यह निश्चय कर डाला था कि मेरा पुत्र राजा बनेगा और सिंह की तरह एक छत्र राज करेगा । मैं इसे मुनि बनने की आज्ञा कैसे दे सकती हूं ?' तब आचार्य रघुनाथजी ने उसे अनेक युक्तियों से समझाया और आज्ञा देने के लिए सहमत कर लिया ।Page Navigation
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