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भट्टारक संप्रदाय
बलात्कार गण-लातूर शाखा-काल पट
धर्मभूषण
१ अजितकीर्ति [ संवत् १७०८ ]
विशालकीर्ति २ विशालकीर्ति [ संवत् १७२६ ] पद्मकीर्ति[सं.१७३६-४३] अजितकीर्ति
३ महीचन्द्र [ संवत् १७५३] ४ महीभूषण [ संवत् १७७४ }
विद्याभूषण [ संवत् १७४४ ] हेमकीर्ति (सं. १७५२-१७८७] अजितकीर्ति [संवत् १८३२-१८५७]
५ शान्तिकीर्ति
६ कल्याणकीर्ति
चन्द्रकीर्ति
७ गुणकीर्ति
नागेन्द्रकीर्ति
८ चन्द्रकीर्ति
विशालकीर्ति
९ माणिकनन्दि [संवत् १८३२] विशालकीर्ति [वर्तमान ]
दीपावली को हुआ। इस के २२ वर्ष बाद संवत् १९७१ की कार्तिक शु. १ को वर्तमान भ. विशालकीर्तिजी का पट्टाभिषेक हुआ। आप ने 'भावांकुर' नामक संस्कृत और मराठी कविताओं का एक संग्रह लिखा है। इस समय लातूर पीठ सैतवाल जैन समाज का गुरुपीठ माना जाता है।
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