________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
११८ भट्टारक संप्रदाय
[२९३ - राजच्छ्रीरघुनाथनामनृपतौ ग्रामे महाराष्ट्रके नाभेयस्य निकेतनं शुभतरं भाति प्रसौख्याकरम । श्रीपूजादिमहोत्सवव्रजयुतं भूरिप्रशोभास्पदं सद्धर्मान्वितयोगिमानुषगणैः सेव्यं प्रमोदाकरं ॥ २६८ तस्मिन् विक्रमपार्थिवाद् रसयुगाद्रींदुप्रमे वर्षके ज्येष्ठे मासि सितद्वितीयदिवसे कांते हि शुक्रान्विते । श्रीमच्छूरिकदंबकाधिपतिना श्रीधर्मचंद्रेण च । तद्भक्त्या चरितं शुभं कृतमिदं श्रेयस्करं प्राणिनां ।। २६९
[सर्ग ५, प्र. मू. कि. कापड़िया, सूरत १९२६ ] लेखांक २९४ - पट्टावली
देवेंद्रकीर्ति संवत् १७२७ देवेंद्रकीर्तिजी गृहस्थवर्ष ९ दिक्षा वर्ष १९ पट्ट वर्ष १० मास ७ दिवस ९ अंतर मास ४ दिवस २१ सर्व वर्ष ३९ मास ३ दिवस ४ जाति सेठी पट्ट महरोठ ॥
[च. १०] लेखांक २९५ - पट्टावली
सुरेंद्रकीर्ति संवत् १७३८ जेष्ट सुदि ११ अमरेंद्रकीर्तिजी गृहस्थ वर्ष १५ दिक्षा वर्ष २५ पट्ट वर्ष ६ मास ११ अंतर मास १ दिवस २ सर्व वर्ष ५१ मास २ दिवस ७ जाति पाटणी पट्ट महरोठ ॥
(ब. १०) लेखांक २९६ - रविवार व्रतकथा
गढ गोपाचल नगर भलो शुभथान बखानो । देवेंद्रकीर्ति मुनिराज भये तपतेज निधानो ॥ तिनके पट्ट विराजहि सुरेंद्रकीर्ति जु मुनींद्र । कलश धरे पनियार में सकल सिद्धि आनंद ॥९३ संवत विक्रम राय भले सत्रह मानो। ता ऊपर चालीस जेष्ठ सुदि दशमी जानो ॥
For Private And Personal Use Only