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भट्टारक संप्रदाय
धर्मकीर्ति के बाद पमकीर्ति और उन के बाद सकलकीर्ति भट्टारक हुए । इन के उपदेश से संवत् १७११ में एक पार्श्वनाथ मूर्ति, संवत् १७१२ में एक पार्श्वनाथ मूर्ति, संवत् १७१८ में एक अन्य मूर्ति तथा संवत् १७२० में एक षोडशकारण यन्त्र स्थापित किया गया (ले. ५३३५३७)।
सकलकीर्ति के पट्ट पर सुरेन्द्रकीर्ति भट्टारक हुए । इन के शिष्य बिहारीदास ने संवत् १७५६ में आदिनाथ स्तोत्र लिखा (ले. ५३८ )। ... ललितकीर्ति के एक और शिष्य रत्नकीर्ति थे । इन के शिष्य चन्द्रकीर्ति ने संवत् १६७५ में एक षोडशकारण यन्त्र तथा संवत् १६८१ में एक सम्यक्चारित्र यन्त्र स्थापित किया (ले. ५३९-४०)।
बलात्कार गण-जेरहट शाखा-कालपट १ देवेन्द्रकीर्ति ( सूरत शाखा )
२ त्रिभुवनकीर्ति [ संवत् १५५२-५३ ]
३ सहस्रकीर्ति
४ पद्मनन्दी
५ यश कीर्ति
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