Book Title: Bhattarak Sampradaya
Author(s): V P Johrapurkar
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 352
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३०६ भट्टारक संप्रदाय विद्यानन्दि (जिनचन्द्र के शिष्य ) विश्वसेन ६६९-६७३ ५०७-५०८ वीरचन्द्र ४७७-४७९ विद्यानन्दि ( देवेन्द्रकीर्ति के शिष्य ) वीरसेन (आर्यनन्दि के शिष्य ) १-५ ४२७-४५७ वीरसेन ( कुमारसेन के शिष्य) ९ विद्यानन्दि ( रत्नकीर्ति के शिष्य ) २९८ वीरसेन ( गुणभद्र के शिष्य ) २५ विद्यानन्दि (विशालकीर्ति के शिष्य) वीरसेन ( लक्ष्मीसेन के शिष्य) नो. २०. १००-१०१ शान्तिकीर्ति २०४ विद्याभूषण (देवेन्द्रकीर्ति के शिष्य) ५११ शान्तिषेण (अमितगति के शिष्य) नो. ९९ विद्याभूषण ( पद्मकीर्ति के शिष्य ) २१० शान्तिषेण ( दुर्लभसेन के शिष्य) ६२७ विद्याभूषण ( विश्वसेन के शिष्य ) शान्तिषेण ( धर्मसेन के शिष्य ) ६२५ ६७६-६८० शान्तिषेण (नरेन्द्रसेन के शिष्य) ७०-७६ विनयनन्दि शीलभूषण विनयसेन शुभकीर्ति ९५, २२७-२२८ विमलकीर्ति ६४६ शुभचन्द्र ( कमलकीर्ति के शिष्य ) विमलसेन (देवसेन के शिष्य) ५५८,५७३ विमलसेन ( धर्मसेन के शिष्य ) ६७१ शुभचन्द्र ( पद्मनन्दि के शिष्य ) विशालकीर्ति (अजितकीर्ति के शिष्य )१९४ २४२-२४६ विशालकीर्ति ( अमरकीर्ति के शिष्य ) शुभचन्द्र ( विजयकीर्ति के शिष्य ) ३६७-३७५ विशालकीर्ति (धर्मकीर्ति के शिष्य ) २८२ शुभचन्द्र ( हर्षचन्द्र के शिष्य ) विशालकीर्ति (धर्मभूषण के शिष्य ) १३८-१४० श्रवणसेन विशालकीर्ति (नागेन्द्रकीर्ति के शिष्य)नो.३१ श्रीचन्द्र ८६-८८ विशालकीर्ति ( वर्तमान, लातूर ) नो. ३१ श्रीधर ( चन्द्रकीर्ति के शिष्य ) ९१ विशालकीर्ति (वसन्तकीर्ति के शिष्य) श्रीधर ( नयनन्दि के शिष्य ) ९१ __ ९५,२२६ श्रीधरसेन विशालकीर्ति (विमलसेन के शिष्य ) श्रीनन्दि ८६-८८ ६७१-६७३ श्रीभूषण ( भानुकीर्ति के शिष्य ) २९१ विश्वकीर्ति ६६५-६६६ श्रीभूषण ( विद्याभूषण के शिष्य ) विश्वभूषण ३१४-३१७ ६८१-७०८ For Private And Personal Use Only

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