Book Title: Bhattarak Sampradaya
Author(s): V P Johrapurkar
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

View full book text
Previous | Next

Page 334
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Achar २८८ भट्टारक संप्रदाय [७५१ - गोवालगोत्रे संघवी भोज भार्या पद्माई...श्रीकाष्ठासंघे नंदीतटगच्छे रामसेनान्वये तदनुक्रमे भ. इंद्रभूषण तत्पट्टे भ. सुरेंद्रकीर्ति ॥ ( ना. ५५) लेखांक ७५२ - केशरियाजी मंदिर संवत १७५४ वर्षे पौषमासे कृष्णपक्षी पंचम्यां बुध श्रीकाष्ठासंघे नंदीतटगच्छे विद्यागणे भ. श्रीरामसेनान्वये तदनुक्रमेण भ. श्रीराजकीर्ति तत्पट्टे भ. श्रीलक्ष्मीसेन तत्पट्टे भ. श्रीइंद्रभूषण तत्पट्टे भ. श्रीसुरेंद्रकीयुपदेशात् दसा हूमड ज्ञातीय वृद्धशाखायां विश्वेश्वरगोत्रे सहा अल्हावंश... इत्यादि सपरिवार सह संघवी पाहर तेन लघु प्रासाद कारपिता शुभं भवतु।। ( वीर २ पृ. ४६० ) लेखांक ७५३ - केशरियाजी मंदिर स्वस्तिश्री संवत् १७५६ वर्षे शाके १६५ (२) ९ प्रवर्तमाने सर्वजितनाम संवत्सरे मासोत्तम मासे कृष्णपक्षे १३ तिथौ शुक्रवासरे श्रीकाष्ठासंघे लाडबागडगच्छे लोहाचार्यान्वये तदनुक्रमेण भ. श्रीप्रतापकीर्ति आम्नाये श्रीकाष्ठासंघे नंदीतटगच्छे विद्यागणे भ. श्रीरामसेनान्वये तदनुक्रमेण भ. श्रीश्रीभूषण......भ. श्रीइंद्रभूषण तत्पट्टकमलमधुकरायमान भ. श्रीसुरेंद्रकीर्ति विराजमाने प्रतिष्ठितं बघेरवालज्ञाति गोवालगोत्र संघवी श्रीअल्हा भार्या कुडाई...। ( वीर २ पृ. ४६०) लेखांक ७५४ - पार्श्वपुराण काष्ठासंघ प्रसिद्ध गछ नंदीतट नायक । विद्यागण गंभीर सकल विद्या गुण गायक ॥ रामसेन आनाय इंद्रभूषण भट्टारक । तत्पट्टोद्धर धीर सुरेंद्रकीर्ति भट्टारक ॥ तद्वदन विनिर्गत अमृतसम सदुपदेश वानी सुनी। षट्चरण पास जिनवरतणा जोड्या धनसागर गुणी ॥ १४४ देश वराड मझार नगर कारंजा सोहे । चंद्रनाथ जिन चैत्य मूल नायक मन मोहे ॥ For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374