Book Title: Bhagwati Sutra Part 14
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 589
________________ प्रमेयन्द्रिको टौंका श०२४ उ.२ सू०१ असुरकुमारदेवस्योत्पादादिकम् - ५६चन्त कियन्त उत्पधन्तेऽसुरकुमारावासे इति प्रश्नः । भगवानाह-गोयमा' इत्यादि। 'गोयमा' हे गौतम ! 'जहन्ने एक्को वा दो वा तिन्नि वा' जघन्येन एको वा दो वां प्रयो वा 'उक्कोसेणं संखेज्जा उववज्जति' उत्कर्षेण संख्याता इत्येवोक्तन'तु असंख्याता इति (२)।. 'वयरोसभनारायसंघयणी' बनऋषभनाराचसंहननन वान् भवति सोऽसंख्यातवर्षायुष्कसंक्षिपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिका, यतोहि-अर्स, ख्यातवर्षायुषां तदेव संहननं भवतीति (३)। 'भोगाणा जहन्नेणं धणुपुहुत्त' असं ख्यातवर्षायुष्मसंज्ञिपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकानां शरीरावगाहना जघन्येन धनुः पृथः फ्त्वम्-द्विधनुरारभ्य नव धनुःपर्यन्तम् 'उक्कोसेणं छ गाउयाई उत्कर्षेण षड्गन्यः आयुवाले संज्ञी पञ्चन्द्रियतिर्यश्च एक समय में वहां असुरकुमारावास मेरकितने उत्पन्न होते हैं ? इसके उत्तर में प्रभु उनसे कहते हैं-'गोयमा हे गौतम ! 'जहन्नेणं एक्को घा दो वा तिमि वा जघन्य से एक अथवा दो-अथवा तीन और 'क्कोसेणं संखेज्जा उववज्जति' उस्कृष्ट से संख्यात उत्पन्न होते हैं। असंख्यात वर्ष की आयुवाले तिर्यच अस ख्याप्त नहीं कहे गये हैं-किन्तु संख्यात ही कहे गये हैं-इसलिये यहाँ पर भी संख्यात उत्पन्न होते हैं ऐसा कहा गया है (२)। इनके वज्रऋष. भनाराच संहनन होना है । अर्थात् जो असंख्यात वर्ष की आयुवाला संज्ञी पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिक जीव है उसको यही संहनन होता है (३).. 'ओगाहणा जहन्नेणं धणुपुहुतं' इनके शरीर की ऊंचाई रूप अवगाहना जघन्य से धनुषपृथक्त्व है, दो धनुष से लेकर नौ धनुष तक की अव પંચેન્દ્રિય તિર્યંચ એવા છે જે એક સમયમાં ત્યાં અસુરકુમારાવામાં , टतात्पन्न याय छ १ मा प्रश्नात्तरमा प्रसुतसेन छ-'गोयमा " गौतम ! 'जहण्गेण एको वा दो वा तिन्नि वा चन्यपी मे मथवा अथवा a मने 'उकोसेणं संखेज्जा उबवज्जति' थी सभ्यात उत्पन्न याय' છે. અસંખ્યાત વર્ષની આયુષ્ય વાળા તિય અસંખ્યાત કહેલા નથી–પરંતુ સંખ્યાત જ કહેલ છે –તેથી અહિયાં પણ સંખ્યતિ ઉત્પન્ન થાય છે, તેમ કહેવામાં આવેલ છે. (૨) તેઓને વજી કાષભ નારાવ સંહના હોય છે. અર્થાત્ અસંખ્યાત વર્ષની આયુષ્યવાળા સંસી પચેન્દ્રિય તિર્યંચ નિવાળા सपने मे सनन य छ (3) 'भोगाहणा जहन्नेणं धणुहपुहुत्त उकोसेणं . छ गाउयाई' माना शीरन या ३५ माना न्यथा धनुष ५५०

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