Book Title: Bhagwati Sutra Part 14
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 648
________________ ६२३ भगवतीस्त्रे भंते ! जीवा एगसमए केवइया उत्रवज्जति' ते खलु भदन्त ! जीवा एकसवयेनएकस्मिन् समये कियन्तो नागकुमारावासे उत्पद्यन्ते इति प्रश्नः । उत्तरमाइ-'अवसेसो सो चेव असुरकुमारेसु उबवज्जमाणस्स गमगो भाणियन्बो जाव भवादेसोचि' अवशेषः स एव असुरकुमारेपूत्पद्यमानस्य पर्याप्तसंज्ञिपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकस्य गमको भणितव्यो यावद्भवादेश इति । असुरकुमारवक्तव्यतायां संज्ञिपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकवदेव अत्रापि सर्व वाच्यम् भवादेशपर्यन्तमिति । तथाहि-ते-असंख्यातवर्षायुष्कसंज्ञिपश्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकजीवाः ये नागकुमारावासे समुत्पतियोग्या स्ते एकसमयेन कियन्तो नागकुमारावासे उत्पद्यन्ते इति प्रश्नस्य जघ. न्येन एको वा द्वौ वा त्रयो वा समुत्पद्यन्ते, उत्कर्षेण तु संख्याता उत्पद्यन्ते ।। तेषां जीवानां शरीराणि कीदृशसंहननयुक्तानि भवन्ति गौतम ! वज्रऋषभनाराचकी स्थिति कुछ कम दो पल्योपम की है ? अब गौतम प्रभु से ऐसा पूछते हैं-'ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं' हे भदन्त वे जीव एकसमय में वहां नागकुमारावास में कितने उत्पन्न होते हैं इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-हे गौतम ! जघन्य से वहां एक अथवा दो अथवा तीन उत्पन्न होते हैं, और उत्कृष्ट से संख्यात उत्पन्न होते हैं-इस प्रकार-'अवसेसो सो चेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स गमो' भाणियब्यो जाव भवादेसोत्ति'-असुरकुमारों में उत्पन्न होने वाले असंख्यात वर्ष की आयुवाले तिर्यश्चों का पाठ यावत् भवादेश तक का यहां पूरा का पूरा “कहना चाहिये ।२ अब गौतम पुनः प्रभु से ऐला पूछते है-हे भदन्त ! उन जीवों के शरीर कैसे संहनन घाले होते हैं ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-हे गौतम! उनके शरीर बनऋषभनाराच संहनन वाले होते हैं ।३ भ मे पक्ष्यापभनी छ. वे गौतभामा प्रसुन मेहुं पूछे छे -'ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं' ३ मगन्ते । समयमा यो नागभारावा. સમાં કેટલા ઉત્પન્ન થાય છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુ કહે છે કે-હે - ગૌતમ! જઘન્યથી ત્યાં એક અથવા બે અથવા ત્રણ ઉત્પન્ન થાય છે. અને Stenी सभ्यात 4-1 थाय छ २मा शत-'अवसेसो सोचेव असरकुमारेस उववज्जमाणस्स गमगो भाणियन्वो जाव भवादेसोति' मा मसुरशुभाशमा उत्पन्न થવાવાળા અસંખ્યાત વર્ષની આયુવાળા તિર્યને પાઠ યાવત્ ભવાદેશ સુધીને અહિયાં પૂરે પૂરે કહી લે. ૨, હવે ગૌતમસ્વામી ફરીથી પ્રભુને એવું પૂછે છે કે-હે ભગવન તે જીવના શરીરે કયા સંતુનનવાળા હોય છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુ

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