Book Title: Bhagwati Sutra Part 14
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 661
________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२४ उ.३ सू०१ नागकुमारदेवस्योत्पादादिकम् ६३५ एवमुत्कृष्टकालस्थितिकजीवस्य उत्कृष्ट कालस्थितिकनागकुमारावासे स्थितिरिति तृतीयो गमः ३। एवं क्रमेण असुरकुमारवदेव नागकुमारेऽपि त्रयो गमाः वेदितव्याः। 'नवरं नागकुमारहिई संवेहं च जाणेज्ना' नवरम्-केवलं लक्षण्यमरकुमारापेक्षया नागकुमारस्थिति कायसंवेधं च जानीयात्-वदेदिति । 'सेसं तं चेत्र' शेषं तदेव यदसुरकुमारपकरणे कथितमिति सप्तमाष्टमनवमगमा भवन्ति ? इति ।। _ अथ संख्यातवर्षायुष्कसंज्ञितियश्चमधिकृत्याह-'जइ संखेज्जयासाउयसभिपंचिंदियतिरिक्खनोणिएदितो उववज्जति' यदि संख्यातवर्षायुष्कसंक्षिपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकेभ्य आगत्य नागकुमारे वृत्पद्यन्ते तदा-'किं पज्जत्तसंखेन्जवासाव्यसनिर्चिस्थिति वाले नागकुमारावास में उत्पत्ति होने रूप द्वितीयगम, तथा उत्कृष्ट काल की स्थिति वाले उस तियग्योनिक जीव की उत्कृष्ट काल की स्थितिवाले नागकुमारोवास में उत्पत्ति होने रूप सुंतीय गम-इस प्रकार से ये तीन गम इसके नागकुमारावास में असुरकुमार के जैसे ही जानना चाहिये, 'नवरं नागकुमारठिई संवेहं च जाणेज्जा' परन्तु यहां के इस प्रकरण में जो उस प्रकरण से भिन्नता है वह इस प्रकार से है कि असुरकुमार की स्थिति और कायसंवेध से नागकुमार की स्थिति और कायसंवेध में भिन्नता है-'मेसं तं चेव' थाकी की और सब यहां का कथन जैसा अमुरकुमार प्रकरण में कहा गया है वैसा ही है। इस प्रकार से सातवां-आठवां और नौवां गम जानना चाहिये, __ अब गौतम संख्यान वर्ष की आयुवाले संज्ञी पञ्चेन्द्रिय तिर्यश्च को लेकर प्रभु से इस प्रकार पूछते हैं-'जह संखेज्जवासाउयसन्निपंचिदियગમ સમાજ તથા ઉત્કૃષ્ટ કાળની સ્થિતિવાળા તે તિર્યંચ નિવાળા જીવની ઉકાળની સ્થિતિ ગળા નાગકુનારાવાસમાં ઉત્પત્તિ થવા રૂપ ત્રીજે ગમ છે.આ રીતના આ ત્રણ ગમે તેના નાગકુમારાવાસમાં સુરકુમારના પ્રકરણમાં ४२८ वय भी प्रभारी सभा 'नव नागकुमारदिई संवेह च जाणेन्जा' પરંતુ અહિંના આ પ્રકામાં તે પ્રકરણ કરતા જે ભિન્ન હ્યું છે. તે આ રીતે છે. કે-અસુઝુમારની સ્થિતિ અને કયા વેવથી નાગકુમારની સ્થિતિ અને अयसवे भिन्न . सेसं तं केव' मानुनी मा महिनु ध्यानवी રીતે અસુરકુમારના પ્રકરણમાં કહેવામાં આવેલ છે, તે જ પ્રમાણેનું છે. આ રીતે આ સાતમે, આઠમે અને નવા એ ત્રણે ગમો સમજવા. ૭-૮-૯ હવે ગોતમવામી સંખ્યાત વર્ષની આયુષ્યવાળી સંજ્ઞી પંચેન્દ્રિય તિ: अना अभयमा प्रभुने माने पूछे छे 3-जइ स खेजवासाउयमन्नि पंचिं.

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