Book Title: Bhagwati Sutra Part 14
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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१९.
भगवतीले कालादेसेणं जहन्नेणं सातिरेगा पुत्वकोडी दसहि वाससहस्सेहि अब्भहिया, उक्कोसेणं देसूणाई पंचपलिओवमाइं एवइयं कालं जाव करेज्जा ।१। सो चेव जहन्नकालटिइएसु उववन्नो० एस चेत्र वत्तव्वया। नवरं नागकुमारट्टिई संवेहं च जाणेज्जा २। सो चेव उकोसकालहिइएसु उववन्नो तस्स वि एस चेव वत्तव्वया। नवरं ठिई जहन्नेणं देसूणाई दो पलिओवमाइं उक्कोसेणं तिन्नि पलिओवमाई, सेसं तं चेव जाव भवादेसोत्ति। कालादेसेण जहन्नेणं देसूणाई चत्तारि पलिओवमाई, उक्कोसेणं देसूणाई पंच पलिओवमाई। एवइयं कालं जाव करेज्जा ३। सो व अप्पणा जहन्नकालटिइओ जाओ, तस्स वि तिसु वि गमएसु जहेव असुरकुमारेसु उववजमाणस्स जहन्नकालदिइयस्स तहेव निरवसेसं ६। सो चेव अप्पणा उक्कोसकालहिइओ जाओ तस्स वि तहेव तिन्नि गमगा जहा असुरकुमारेसु इचवज्जमाणस्त। नवरं नागकुमारटिइं संवेहं च जाणेज्जा सेसं त चेव ७-८-९। जइ संखेजवासाउयसन्निपंचिंदिय जाव किं पंजत्तसंखेज्जवासाउथ सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजेजा अपज्जत्तसंखेज्जवासाउय सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिमाहितो उववज्जेज्जा ? गोयमा! पज्जत्तसंखेज्जवासाउय सन्निपंचिंदियजोणिएहितो उववज्जेज्जा णो अपज्जत्तसंखेज्जवासा

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