Book Title: Bhagwati Sutra Part 14
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 611
________________ मेयचन्द्रिका टीका श०२४ उ.२ सू०१ असुरकुमारदेवस्योत्पादादिकम् ५५ योनिको यः जघन्यकालस्थितिकामुरकुमारेपून्पत्तियोग्यो विद्यते स कियत्काल थतिकासुरकुमारेवूस्पद्यते इति प्रश्नः, हे गौतम ! जघन्येन दशवर्षसहस्रस्थिति पु तथोत्कृष्टतोऽपि दशवर्ष सहस्रस्थितिकेयूत्पद्यते तथा हे भदन्त ! ते जीवा कसमये तत्र कियन्त उत्पधन्ते हे गौतम ! जघन्येन एको वा द्वौ वा त्रयो वा स्कृष्टः संख्याता उत्पद्यन्ते इत्यादि सर्व प्रश्नोत्तरादिकं संहननसंस्थानादिकं च यमगमवदेव इहाऽपि वक्तव्यमिति । 'नवरं असुरकुमारढिई संवेह च जाणिज्जा' विरमसुरकुमारस्थिति कायसंवेधं च जानीयादित्यष्टमो गमः ।। तब वह असंख्यात वर्ष की आयु वाला संज्ञो पञ्चेन्द्रियतिर्यरोनिक जीव जघन्यकाल की स्थिति वाले असुरकुमारों में उत्पन्न होने के योग्य होता है तब वह जघन्य से दश हजार वर्ष की स्थिति वाले असुरकुमारों में तथा उत्कृष्ट से भी दस हजार वर्ष की स्थितिवाले असुरकुमारों में उत्पन्न होता है, इसी प्रकार से वे जीव वहां एक समय में कितने -उत्पन्न होते हैं ? इस प्रश्न के उत्तर में जघन्य से एक अथवा दो अथवा तीन एवं उत्कृष्ट से संख्यात उत्पन्न होते हैं इत्यादि सब प्रश्नो तररूप कथन संहनन संस्थान आदि द्वार विषयक प्रथम गम के जैसा ही यहां पर भी कहलेना चाहिये, 'नवरं असुरकुमारहि संवेहं या जाणिज्जा' यहां असुरकुमार की स्थिति और संवेध विचार कर कह लेना चाहिये इस प्रकार ये यह आठवां गम है। તે અસંખ્યાત વર્ષની આયુષ્યવાળો સંજ્ઞી પંચેન્દ્રિય તિર્યંચ નીવાળે જીવ જઘન્ય કાળની સ્થિતિ વાળા અસુરકુમારેમાં ઉત્પન્ન થવાને ચોગ્ય હોય તે તે જઘન્યથી દસ હજાર વર્ષની સ્થિતિવાળા અસુરકુમારમાં તથા ઉત્કૃષ્ટથી ત્રણ પામની સ્થિતિવાળા અસુર કુમારેમાં ઉત્પન્ન થાય છે. એ જ રીતે તે જ એક સમયમાં ત્યાં કેટલા ઉત્પન્ન થાય છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં જઘન્યથી એક અથવા બે અથવા ત્રણ અને ઉત્કૃષ્ટથી સંખ્યાતપણે ઉત્પન્ન થાય છે. વિગેરે તમામ પ્રશ્નોત્તર રૂપ કથન સંહનન સંસ્થાન વિગેરે દ્વારા __ समधी ४थन पडेना गम प्रमाणे मडिया र ४ न . 'नवर' असुरकुमारदिई संवेह' च जाणिज्जा' माडियां असुरसुभाशनी स्थिति भने સવેધ વિચારીને કહે જોઈએ. આ રીતે આ આઠમે ગમ કહ્યો છે. * भ०७४

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