Book Title: Bhagwan Mahavir aur Unka Samay
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Hiralal Pannalal Jain

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Page 6
________________ प्राक्कथन यह निबन्ध २१ अप्रेल सन् १९२९ को लिखकर समाप्त हुआ था और उसी दिन चैत्रशुक्ला त्रयोदशीको देहलीमें महावीर जयन्ती के शुभ अवसर पर पढ़ा गया था। उसके बाद नये प्रकट होनेवाले 'अनेकान्त' पत्र के लिये इसे रिजर्व रख छोड़ा था और यह उस पत्रकी प्रथम किरणमें २२ नवम्बर सन् १९२९ को सबसे पहले प्रकाशित हुआ था। 'अनेकान्त' में प्रकाशित होने पर बहुतम प्रतिष्ठित जैन अजैन विद्वानोंने इसका खला अभिनन्दन किया था और इसे अपनी सम्मतियों में स्पष्ट रूपसे एक बहुत ही महत्वपर्ण, खोजपूर्ण, गवेषणापूर्ण, विद्वत्तापूर्ण, अत्युत्तम, उपयोगी,आवश्यक और मननीय लेख प्रकट किया था । विद्वानोंकी इन सम्मतियं का बहुतसा हाल 'अनेकान्त'की प्रथम वर्षकी फाइलसे जाना जा सकता है, जिसमें कितनी ही सम्मतियाँ 'अनेकान्त पर लोकमत' आदि शीर्षकोंके नीचे ज्योंकी त्यों उद्धत की गई हैं। इस निबन्धके दो विभागहैं-एक भगवान् महावीरके जीवन और शासनसे सम्बंध रखता है, दूसरा उनके समयके विचार एवं वीरनिर्वाण-संवत्के निर्णयको लिये हुए है । पहले विभागमें महावीरका संक्षेपतः आवश्यक परिचय देनेके साथ साथ देशकालकी परिस्थितिके उल्लेखपूर्वक महावीरके उद्धारकार्य और उनके शासनकी विशेषतादिका प्रदर्शन किया गया है और उन सब पर यथेष्ट प्रकाश डाला गया है। पिछले विभागमें प्रचलित वीर-निर्वाण-संवत्को अनेक यक्तियों तथा प्रमाणोंके आधार पर सत्य सिद्ध किया गया है। इससे पहले प्रचलित वीरनिर्वाण-संवत् बहुत कुछ विवादग्रस्त चल रहा था, अनेक विद्वानोंकी उस पर आपत्तियाँ थीं और वे अपनी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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