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वीर-शासनकी विशेषता
१९ है-अनेक पत्रों तथा पम्तकोंमें वे छप चके हैं। महात्मा गाँधी तो मुक्तकण्ठसे भ०महावीरके प्रशंसक बने हुए हैं । विदेशी विद्वानोंके भी बहुतसे वाक्य महावीरको योग्यता, उनके प्रभाव और उनके शासनकी महिमा-सम्बंधमें उद्धत किये जा सकते हैं परन्तु उन्हें भी छोड़ा जाता है।
वीर-शासनकी विशेषता भगवान महावीरने संसारमें सुख-शान्ति स्थिर रखने और जनता___का विकास सिद्ध करनेके लिये चार महासिद्धान्तोंकी१ अहिंसावाद, २ साम्यवाद, ३ अनेकान्तवाद (स्याद्वाद) और ४ कर्मवाद नामक महासत्योंकी-घोषणा की है और इनके द्वारा जनताको निम्न बातोंकी शिक्षा दी है :
१निर्भय-निर्वैर रह कर शांतिके साथ जीना तथा दूसरोंको जीने देना।
२ राग-द्वेष-अहंकार तथा अन्याय पर विजय प्राप्त करना और अनुचित भेद-भावको त्यागना ।
३ सर्वतोमुखी विशाल दृष्टि प्राप्त करके अथवा नय-प्रमाणका सहारा लेकर सत्यका निर्णय तथा विरोधका परिहार करना ।
४ 'अपना उत्थान और पतन अपने हाथमें है' ऐसा समझते हुए, स्वावलम्बी बनकर अपना हित और उत्कर्ष साधना तथा दूसरोंके हित-साधनमें मदद करना। ___ साथ ही, सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक चारित्रकोतीनोंके समुच्चयको-मोक्षको प्राप्तिका एक उपाय अथवा मार्ग बतलाया है। ये सब सिद्धांत इतने गहन, विशाल तथा महान हैं
और इनकी विस्तृत व्याख्याओं तथा गम्भीर विवेचनाओंसे इतने जैन ग्रन्थ भरे हुए हैं कि इनके स्वरूपादि-विषयमें यहाँ कोई Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com