Book Title: Bhagwan Mahavir aur Unka Samay
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Hiralal Pannalal Jain

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Page 56
________________ . महावीरका समय राज्याभिषिक्त होना लिखा है। यथाः अनन्तरं वर्धमानस्वामिनिर्वाणवासरात् । गतायां षष्ठिवत्सयामेष नन्दोऽभवन्नृपः॥६-२४३॥ इसके बाद नन्दोंका वर्णन देकर, मौर्यवंशके प्रथम राजा सम्राट चंद्रगुप्त के राज्यारंभका समय बतलाते हुए, श्रीहेमचन्द्राचायन जो महत्वका श्लोक दिया है वह इस प्रकार है: एवं च श्रीमहावीरमुक्तवर्षशते गते ।। पंचपंचाशदधिके चन्द्रगुप्तोऽभवन्नृपः॥८-३३६ ॥ इस श्लोक पर जार्ल चा टेयरने अपने निर्णयका खास आधार रक्खा है और डा. हर्मन जैकोबीके कथनानुसार इसे महावीर-निर्वाणके सम्बन्धमें अधिक संगत परम्पराका सचक बतलाया है । साथ ही, इसकी रचना परसे यह अनमान किया है कि या तो यह श्लोक किसी अधिक प्राचीन ग्रन्थ परस ज्यांका त्यों उद्धत कियागया है अथवा किसी प्राचीन गाथा परसे अनवा दत किया गया है । अस्तु; इस श्लोकमें बतलाया है कि 'महावीर के निर्वाणसे १५५ वर्ष बाद चंद्रगुप्त राज्यारूढ हुआ' । और यह समय इतिहासके बहुत ही अनकूल जान पड़ता है । विचारश्रेणिकी उक्त कालगणनामें १५५ वर्षका समय मिर्फ नन्दोका और उस से पहले ६० वर्षका समय पालकका दिया है । उसके अनुसार चंद्रगुप्तका राज्यारोहण-काल वीरनिर्वाणसं १५ वर्ष गद होता था परंतु यहाँ १५५ वर्ष बाद बतलाया है, जिमम ६० वर्षकी कमी पड़ता है । मेरुतुंगाचार्यने भी इस कमीको महसस किया है परन्तु वे हेमचन्द्राचार्यके इस कथनको गलत साबित नहीं कर सकते थे और दूसरे ग्रंथोंके साथ उन्हें माफ विरोध नजर आता था,इसलिये उन्होंने 'तच्चिन्त्यम्' कहकर ही इस विषयको छोड़ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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