Book Title: Bhagwan Mahavir aur Unka Samay
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Hiralal Pannalal Jain

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Page 63
________________ ५४' भगवान महावीर और उनका समय उपसंहार यहाँ तकके इस संपर्ण विवेचन परसे यह बात भले प्रकार स्पष्ट __ हो जाती है कि आज कल जो वीरनिर्वाणसंवत् २४६० प्रचलित है वही ठीक है-उसमें न तो बैरिष्टर के० पी० जायसवाल जैसे विद्वानोंके कथनानसार १८ वर्षकी वृद्धि की जानी चाहिए और न जाल चापेंटियर जैसे विद्वानोंकी धारणानुसार ६० वर्षकी अथवा एस० वी० वेंकटेश्वरकी सूचनानुसार ९० वर्षकी कमी ही की जानी उचित है । वह अपने स्वरूपमें यथार्थ है । हाँ, उसे गत संवत् समझना चाहिये-जैनकाल गणनामें वीरनिर्वाणके गतवर्णही लिये जाते रहे हैं-ईसवी सन् आदिकी तरह वह वर्तमान संवत्का घोतक नहीं है । क्योंकि गत कार्तिकी अमावस्याको शकसंवत्के १८५४ वर्ष ७ महीने व्यतीत हुए थे और शकसंवत् महावीरके निर्वाणसे ६०५ वर्ष ५ महीने बाद प्रवर्तित हुश्रा है,यह ऊपर बत-: लाया जा चुका है। इन दोनों संख्याओंके जोड़नसे पूरे २४६० वर्ष होते हैं । इतने वर्ष महावीरनिर्वाणको हुए गत कार्तिकी अमावस्याको परे हो चुके हैं और गत कार्तिकशुक्ला प्रतिपदासे उसका २४६१ वाँ वर्ष चल रहा है । यही आधुनिक संवत्-लेखन पद्धतिके अनसार वर्तमान वीरनि० संवत् है। और इसलिये इसके अनुसार महावीरको जन्म लिये हुए २५३१ वर्ष बीत चुके हैं और इस समय गत चैत्रशुक्ला त्रयोदशी ( वि० सं० १९९० शक सं०१८५५) से, भापकी इस वर्षगाँठका २५३२ वा वर्ष चल रहा है और जो समाप्तिके करीब है । इत्यलम् । जुगलकिशोर मुख्तार AN Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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