Book Title: Bhagwan Mahavir aur Unka Samay
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Hiralal Pannalal Jain

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Page 61
________________ ५२ भगवान महावीर और उनका समय जिसकी अधिक संभावना है,तो कहना होगा कि महावीर अजातशत्रके राज्यके २२वें वर्ष तक जीवित रहे हैं, क्योंकि उनकी आयु प्रायः ७२ वर्षकी थी। और इस लिये महावीरका निर्वाण बुद्धनिर्वाणसे लगभग १४ वर्ष के बाद हुआ है । 'भगवतीसूत्र' आदि श्वेताम्बर ग्रन्थोंसे भी ऐसा मालम होता है कि महावीर-निर्वाणसे १६ वर्ष पहले गोशालक (मंखलिपुत्त गोशाल) का स्वर्गवास हुआ, गोशालकके स्वर्गवाससे कुछ वर्ष पूर्व (प्रायः ७ वर्ष पहले) अजातशत्रुका राज्यारोहण हुआ, उसके राज्यके आठवें वर्ष में बद्धका निर्वाण हुआ और बद्धके निर्वाणसे कोई १४-१५ वर्ष बाद अथवा अजातशत्रु के राज्यके २२वें वर्ष में महावीरका निर्वाण हुआ। इस तरह बुद्धका निर्वाण पहले और महावीरका निर्वाण उसके बाद पाया जाता है। इसके सिवाय, हेमचन्द्राचार्यने चंद्रगमका राज्यारोहण-समय वीरनिर्वाणसे १५५ वर्ष बाद बतलाया है और 'दीपवंश' 'महावंश' नामके बौद्ध ग्रन्थोंमें वही समय बुद्ध निर्वाणसे १६२ वर्ष बाद बतलाया गया है । इससे भी प्रकृत विषयका कितना ही समर्थन होता है और यह स्पष्ट जाना जाता है कि वीरनिर्वाणसे बद्धनिर्वाण अधिक नहीं तो ७-८ वर्षके करीब पहले जरूर हुआ है। बहुत संभव है कि बौद्धोंके सामगामसुत्तमें वर्णित निगंठ नातपत्त (महावीर) की मत्य तथा संघभेद-समाचार वाली घटना मक्खलिपत्त गोशालकी मत्युसे संबंध रखती हो और पिटक ग्रंथोंको लिपिवद्ध करते समय किसी भूल आदिके वश इस सत्रमें मक्खलिपुत्तकी जगह नातपुत्तका नाम प्रविष्ट हो गया हो; क्योंकि मक्खलिपत्तकी मत्य-जो कि बद्धके छह प्रतिस्पर्धी तीथैकरोंमेंसे * देखो, जार्ल चाटियरका वह प्रसिद्ध लेख जिसका अनुवाद जैनसाहित्यसंशोधकके द्वितीय खंडके दूसरे अङ्क में प्रकाशित हुआ है और जिसमें बौद्धग्रन्थकी उसघटना पर खासी आपत्ति की गई है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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