Book Title: Bhagwan Mahavir aur Unka Samay
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Hiralal Pannalal Jain

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Page 55
________________ ४६ भगवान महावीर और उनका समय और विक्रमकालके ४७० वर्षके अन्तरकी गणना विक्रमके राज्याभिषेकसे की है और इस तरह विक्रमसंवत्को विक्रमके राज्यारोहण काही संवत् बतला दिया है । इस विषयका खुलासा इस प्रकार है: श्वेताम्बराचार्य श्रीमेरुतुंगने, अपनी 'विचारश्रेणि' में-जिसे 'स्थविरावली' भी कहते हैं, 'जं रयरिंग कालगो ' आदि कुछ प्राकृत माथाओंके आधार पर यह प्रतिपादन किया है कि-'जिस रात्रिको भगवान महावीर पावापुरमें निर्वाणको प्राप्त हुए उसी रात्रिको उजयिनीमें चंडप्रद्योतका पुत्र 'पालक' राजा राज्याभिषिक्त हुआ, इसका राज्य ६० वर्ष तक रहा, इसके बाद क्रमशः नन्दोंका राज्य १५५ वर्ष,मौर्योंका१०८, पुष्यमित्रका ३०, बलमित्र-भानुमित्रका ६०, नभोवाहन (नरवाहन) का ४०, गर्दभिल्लका १३ और शकका ४ वर्ष राज्य रहा । इस तरह यह काल ४७० वर्षका हुआ। इसके बाद गर्दभिल्ल के पुत्र विक्रमादित्यका राज्य ६० वर्ष, धर्मादित्यका ४०, भाइल्लका ११, नाइल्लका १४ और नाहडका १० वर्ष मिलकर १३५ वर्षका दूसरा काल हुआ । और दोनों मिलकर ६०५ वर्ष का समय महावीरके निर्वाण बाद हुआ । इसके बाद शकोंका राज्य और शकसंवत्की प्रवृत्ति हुई, ऐसा बतलाया है।' यही वह परम्परा और कालगणना है जो श्वेताम्बरोंमें प्रायः करके मानी जाती है। परन्तु श्वेताम्बर-सम्प्रदायके बहुमान्य प्रसिद्ध विद्वान् श्रीहेमचन्द्राचार्यके 'परिशिष्टपर्व' से यह मालूम होता है कि उज्जयिनीके राजा पालकका जो समय ( ६० वर्ष ) ऊपर दिया है उसी समय मगधके सिंहासन पर श्रेणिकके पुत्र कूणिक (अजातशत्रु) और कूणिकके पुत्र उदायीका क्रमशः राज्य रहा है। उदायीके निःसन्तान मारे जाने पर उसका राज्य नन्दको मिला । इसीसे परिशिष्टपर्वमें श्रीवर्द्धमान महावीरके निर्वाणसे ६० वर्षके बाद प्रथम नन्दराजाका Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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