Book Title: Bhagwan Mahavir aur Unka Samay
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Hiralal Pannalal Jain

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Page 41
________________ ६०५ ३२ भगवान महावीर और उनका समय परी तफसीलके साथ एक विस्तृत लेख लिखू परन्तु समयकी कमी श्रादिके कारण वैसा न करके, संक्षेपमें ही, अपनी खोजका एक सार भाग पाठकोंके सामने रखता हूँ। आशा है कि सहृदय पाठक इस परसे ही, उस गड़बड़, ग़लती अथवा भलको मालूम करके, समयका ठीक निर्णय करनेमें समर्थ हो सकेंगे। आजकलजो वीर-निर्वाण-संवत प्रचलित है और कार्तिक शुक्ला प्रतिपदासे प्रारम्भ होता है वह २४६० है । इस संवत्का एक आधार 'त्रिलोकसार' की निम्न गाथा है,जो श्रीनमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्तीका बनाया हुआ है:-- पणछस्सयवस्सं पणमासजुदं गमिय वीरणिव्वुइदो । सगराजो तो ककी चदुणवतियमहियसगमासं ॥ ८५० इसमें बतलाया गया है कि 'महावीरके निर्वाणसे ६०५ वर्ष ५ महीने बाद शक राजा हुआ, और शक राजासे ३९४ वर्ष ७ महीने बाद कल्की राजा हुआ।'शकराजाके इस समयका समर्थन 'हरिवंशपुराण' नामके एक दूसरे प्राचीन ग्रन्थसे भी होता है जो त्रिलोकसारसे प्रायः दो सौ वर्ष पहलेका बना हुआ है और जिसे श्रीजिनसेनाचार्यने शक सं० ७०५ में बनाकर समाप्त किया है। यथा : वर्षाणां षट्शती त्यक्त्वा पंचाग्रां मासपंचकम् । मुक्तिं गते महावीरे शकराजस्ततोऽभवत् ॥६०-५४६॥ इतना ही नहीं, बल्कि और भी प्राचीन ग्रन्थोंमें इस समयका उल्लेख पाया जाता है, जिसका एक उदाहरण 'तिलोयपएणत्ति' (त्रिलोकप्रज्ञप्ति) का निम्न वाक्य है-- णिबाणे वीरजिणे छव्वाससदेसु पंचवरिसेसु । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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