Book Title: Bhagwan Mahavir aur Unka Samay
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Hiralal Pannalal Jain

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Page 25
________________ १६ भगवान महावीर और उनका समय हस्तावलम्बन देकर इस घोर विपत्तिसे निकाले । ठीक इसी समय आजसे कोई ढाई हजार वर्षसे भी पहले-प्राची दिशामें भगवान् महावीर भास्करका उदय हुआ, दिशाएँ प्रसन्न हो उठी, स्वास्थ्यकर मंद सुगंध पवन बहने लगा, सज्जन धर्मात्माओं तथा पीडितोंके मुखमंडल पर श्राशाकी रेखा दीख पड़ी, उनके हृदयकमल खिल गये और उनकी नसनाड़ियोंमें ऋतुराज (वसंत)के आगमनकालजैसा नवरसका संचार होने लगा। महावीरका उद्धारकार्य महावीर ने लोक-स्थितिका अनुभव किया, लोगोंकी अज्ञानता, स्वार्थपरता, उनके वहम, उनका अन्धविश्वास, और उनके कुत्सित विचार एवं दुर्व्यवहारको देखकर उन्हें भारी दुःख तथा खेद हुआ। साथ ही, पीड़ितोंकी करुण पुकारको सुन कर उनके हृदयसे दयाका अखंड स्रोत बह निकला। उन्होंने लोकोद्धारका संकल्प किया, लोकोद्धारका संपर्ण भार उठानेके लिये अपनी सामर्थ्यको तोला और उसमें जो त्रुटि थी उसे बारह वर्षके उस घोर तपश्चरणके द्वारा पूरा किया जिसका अभी उल्लेख किया जा चुका है। - इसके बाद सब प्रकारसे शक्तिसम्पन्न होकर महावीरने लोकोद्धारका सिंहनाद किया-लोकमें प्रचलित सभी अन्यायअत्याचारों, कुविचारों तथा दुराचारोंके विरुद्ध आवाज उठाई और अपना प्रभाव सबसे पहले ब्राह्मण विद्वानों पर डाला, जो उस वक्त देशके 'सर्वे सर्वाः' बने हुए थे और जिनके सुधरने पर देशका सुधरना बहुत कुछ सुखसाध्य हो सकता था । आपके इस पटु सिंहनादको सुनकर, जो एकान्तका निरसन करने वाले स्याद्वादकी विचार-पद्धतिको लिये हुए था, लोगोंका तत्त्वज्ञानविषयक भ्रम दूर हुआ, उन्हें अपनी भूलें मालूम पड़ी, धर्म-अधर्म: Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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