Book Title: Bauddh aur Jain Darshan ke Vividh Aayam Author(s): Niranjana Vora Publisher: Niranjana Vora View full book textPage 6
________________ निवेदन 1 असीम शक्ति प्राप्त करके भी आज मनुष्य अशान्त है, दुःखी है और भयाक्रान्त है । उसके आसपास का विश्व सोने-चाँदी से मठा हुआ है । भौतिक विज्ञानने भी असीम सुविधायें प्रदान की है । भौतिक विद्या के क्षेत्र में वैज्ञानिकों ने अणुका विखण्डन करके अद्भुत सिद्धियाँ हाँसिल की है । फिर भी मन की दुर्भावनायें, भय, आशंका, लालसा, तनाव, चिन्ता इन सबसे मनुष्य आज पीड़ित है । इस लिए शक्ति की खोज छोडकर वह शान्ति की खोज करना चाहता है । विज्ञान शक्ति की खोज करता है, धर्म-दर्शन और आध्यात्म शान्ति की और अग्रेसर करते हैं 1 अतः आज मनुष्य· ध्यान-चिंतन और दर्शन के क्षेत्र में आगे बढने के लिये मंथन कर रहा है । सत्य, अहिंसा, प्रेम, मैत्री, करुणा, अनासक्ति आदि का उपदेश देने वाले प्रायः सभी धर्म-दर्शन मनुष्य के जीवन में ज्ञान, समता और समन्वय की रश्मियाँ से आलोक फैलाते हैं । लेकिन बौद्ध और जैन दर्शन के विषय में मुझे विशेष अभ्यास करने का मौका मिला - इसके परिणाम स्वरूप, जो संशोधन-लेख 'समय समय पर लिखे गये है, उनका संकलन यहाँ किया है । बौद्ध और जैन दर्शन की आचार और विचार की पद्धति स्वस्थ जीवन जीने की पद्धति हैं । उसका अंशत: परिचय भी विद्यार्थियों और अभ्यासियों के लिये उपयोगी सिद्ध हो सकता है, ऐसे विचार से प्रेरित होकर उनके प्रकाशन के लिये प्रवृत्त हुई हूँ । निरंजना वोराPage Navigation
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