Book Title: Atma Siddhi Shastra Vivechan Part 3
Author(s): Shrimad Rajchandra, Rakeshbhai Zaveri
Publisher: Shrimad Rajchandra Ashram

Previous | Next

Page 12
________________ Jain Education International आत्म कि दि. ――― लेस्ट३५ समक्या दिवा, सरम्यो दुः५ अनंत रूपकों ने पहनी रुद्‌गुई लगत **** वर्तमान भर छत्यमा मोक्ष मार्ग बहु खोड दियाश्या भारमार्थिक लाग्यो भाग भगोज्य र छोध किया - ४६ दई माने मारग मोक्षको • रहना रेडलई शानni होई, दुईपट सिके लेश 3 जारी किया मां देता, अंतर भेट नाई झान मार्ग नाटया, तेर क्रिया মথ 7 कंध मोदर छे हटना, लाने वाली मांदि बर्ने मोटर दर्शमा, शुष्ड द्वारान ने आंद बैरआदि कईज गेो ले सब आलमरीन तेमळ भयात्म झावली, प्राहितां निधान त्योग विभाग न दित्तमा, भावे न लेनेझान भारडे त्याग दियोगमा तो लूले जिल्लाक For Private & Personal Use Only ५ の k * * * * * * * * * * www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 818