Book Title: Atit ka Basant Vartaman ka Saurabh
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 10
________________ लेकर एक नया रूप बनता है अपना ही प्रतिरूप। अतीत का वसंत-वर्तमान का सौरभ महाप्रज्ञ का अभिनव सृजन जीवन का विहंगावलोकन समय की शिला पर स्व का अंकन जैसे-जैसे आरोहण वैसे-वैसे स्व का मूल्यांकन वर्तमान के झरोखे से अतीत का दर्शन हुआ कर्तृत्व का अंकन साक्ष्य बना महाप्रज्ञ अलंकरण दायित्व की चादर का समर्पण युवाचार्य का मनोनयन मुखर हुआ प्रकृष्ट विश्वास आचार्यपद का अभिनव उच्छ्वास गुरु तुलसी ने लिखा वह लेख बन गया अमिट कालजयी अभिलेख विसर्जन की स्याही से रचा सृजन का इतिहास युग को जीवन्त बोध अनायास महाप्रज्ञ द्वारा जीए ये विलक्षण क्षण प्रस्तुत कृति का अन्तःकरण। प्रस्तुत सृजन की अंतरात्मा तेरापंथ की पुण्य-प्रतिमा महावीर की प्रासंगिकता आचार्य भिक्षु की दार्शनिकता जयाचार्य का व्यक्तित्व पज्य कालगणी का कर्तृत्व गुरु तुलसी का युगबोध Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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