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पंचेन्द्रियों मन-वचन-तन बल और श्वासोच्छ्वास भी । अर आयु- इन दश प्राणों में अरिहंत की स्थापना ॥ ३५ ॥ सैनी पंचेन्द्रियों नाम के इस चतुर्दश जीवस्थान में । अरहंत होते हैं सदा गुणसहित मानवलोक में || ३६ || व्याधी बुढ़ापा श्वेद मल आहार अर नीहार से । थूक से दुर्गन्ध से मल-मूत्र से वे रहित हैं ||३७|| अठ सहस लक्षण सहित हैं अर रक्त है गोक्षीर सम । दश प्राण पर्याप्ती सहित सर्वांग सुन्दर देह है ।। ३८ ।। इस तरह अतिशयवान निर्मल गुणों से सयुक्त हैं । अर परम औदारिक श्री अरिहंत की नरदेह है ।। ३९ ।।
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