Book Title: Ashtapahud Padyanuwad
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 106
________________ शीलपाहुड़ विशाल जिनके नयन अर रक्तोत्पल जिनके चरण । त्रिविध नम उन वीर को मैं शील गुण वर्णन करूँ ॥१॥ शील एवं ज्ञान में कुछ भी विरोध नहीं कहा । शील बिन तो विषयविष से ज्ञानधन का नाश हो ॥२॥ बड़ा दुष्कर जानना अर जानने की भावना । एवं विरक्ति विषय से भी बड़ी दुष्कर जानना ॥३॥ विषय बल हो जबतलक तबतलक आतमज्ञान ना । केवल विषय की विरक्ति से कर्म का हो नाश ना ॥४॥ (१०५)

Loading...

Page Navigation
1 ... 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114