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Shri Ashtapad Maha Tirth
इसीलिये सभी धर्मों के प्राचीन ग्रन्थों में भगवान् ऋषभदेव का प्रमुख स्थान है। वेदों, पुराणों, मनुस्मृति, बौद्ध ग्रन्थों आदि में ऋषभदेव का वर्णन और उनकी प्रशस्ति में श्लोक मिलते हैं। महाकवि सूरदास के शब्दों मेंबहुरि रिसभ बड़े जब भये नाभि राज देवनको गये ।
रिसभ राज परजा सुख पायो जस ताको सब जग में छायो ।
- सूरसागर
ऋषभदेव की शिष्य संपदा के विषय में कल्पसूत्र में लिखा है कि "उसभस्स णं अरहओ को सलियस्स चउरासीइं गणा, चउरासीइं गणहरा होत्था । उसभस्स णं अरहओ कोस लियस्स उस भसेण- पामोक्खाओ चउरासीइं समण साहस्सीओ उक्कोसिया समण संपया होत्था । उसभस्स णं अरहओ कोसलियस्स बंभीसुंदरी पामोक्खाणं अज्जियाणं तिन्नि सय साहस्सीओ उक्कोसिया अज्जिया संपया होत्था"
अर्हत ऋषभ के चौरासी गण और चौरासी गणधर थे। उनके संघ में चौरासी हजार श्रमण थे जिनमें वृषभसेन प्रमुख थे। तीन लाख श्रमणियाँ थीं जिनमें ब्राह्मी और सुन्दरी प्रमुख थीं।
इक्ष्वाकु कुल और काश्यप गोत्र में उत्पन्न ऋषभदेव इस अवसर्पिणी काल के प्रथम तीर्थंकर माने जाते हैं। इन्हें सभ्यता और संस्कृति का आदि पुरुष कहा जाता है । त्रिशष्टिशलाका पुरुष चरित्र में इनके बारह पूर्वभवों का वर्णन भी है। वैदिक परम्परा में वेदों, पुराणों में भी ऋषभदेव का वर्णन अनेक स्थानों पर मिलता है। पुरातात्विक स्रोतों से भी ऋषभदेव के बारे में सूचनाएँ मिलती हैं। अब तक की सबसे प्राचीन प्राप्त मूर्ति जो हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में मिली है उसके विषय में
T.N. Ramchandra (Joint director General of Indian Archaeology) ने स्पष्ट लिखा है- "We are perhaps recognising in Harappa statuette a fullfledged Jain Tirthankara in the Characteristic pose of physical abandon (Kayotsarga)"
"The name Rishabha means bull and the bull is the emblem of Jain Rishabha "Therefore it is possible that the figures of the yogi with bull on the Indus seals represents the Mahayogi Rishabha," (Modern Review Aug. 1932).
"The images of Rishabha with Trishula-like decoration on the head in a developed artistic shape are also found at a later period. Thus the figures on the Mohanjodaro seals vouch safe the prevalence of the religion and worship of Jain Rsabha at the early period on the western coast of the county."
According to Jamboodwip Pragnapati, "Rishabhdeva was the first tribal leader to make invention of sword by smelting iron ore and to introduce alphabetic writing and its utilization for literary records. The age of Nabhi and his son Rishabha was the age of transition from the upper stage of Kulakarism into the dawn of civilization."
"The picture of the evolution of mankind through the infancy of the human race and kulakarism to the dawn of civilization as depicted in Jain Agamas, compares well with the picture of th evolution of mankind through savegery and barbarism to the begining of civilization as sketched by F Engels."
"The Harappa statuette is a male torso in nude form which resembles the torso found Adinath Rishabhdev and Ashtapad
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