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Shri Ashtapad Maha Tirth.
आचार्य हेमचन्द्र प्रणीत अभिधान चिन्तामणि में लिखा है "रजताद्रिस्तु कैलासोडष्टापद स्फटिकाचल' (अभिधान चिन्तामणि ४ / ९४ पृ. २५३) अर्थात् कैलाश पर्वत के चार नाम हैं। (१) रजताद्रि, (२) कैलाश, (३) अष्टापद, (४) स्फटिकाचल। इसके अलावा और जो नाम उपलब्ध होते हैं वो इस प्रकार हैं धन्दावास, हराद्रि, हिमवत्, हंस और इसको धवलगिरि भी कहा गया। कैलास और अष्टापद दोनों का एक ही पर्यायवाची शब्द हैं जिसका अर्थ है स्वर्ण या सोना । सूर्य की किरणें जब कैलास या अष्टापद पर पड़ती है तो वह स्वर्ण की भाँति चमकता है।
प्राकृत में अष्टापद को 'अडावय' कहा गया है जिसका अर्थ है स्वर्ण या सोना। कैलाश का अर्थ भी रजतशिला होता है। आज से लगभग दो सौ वर्ष पूर्व अष्टापद का वर्णन सोने के पर्याय के रूप में बंग्ला लेखक भारतचन्द्र ने किया था। देखते-देखते सेउति होइलो अष्टापद अर्थात् मां अन्नपूर्ण के नौका पर विराजमान होते ही नौका-पतवार आदि स्वर्णमय बन गये। कैलाश को प्राकृत भाषा में 'कईलास' भी कहा गया है। जिसका एक अर्थ राहू का कृष्ण पुद्गल विशेष बताया गया है। कालीदास ने अपने मेघदूत में कैलाश का कृष्ण पर्वत के रूप में उल्लेख किया है। स्वामी तपोवन ने भी कैलाश को कृष्ण पर्वत यानी Dark Mountain कहा
है ।
अष्टापद का अर्थ आठ पाद वाला भी होता है । अष्टापद नाम का जीव आठ पैरों वाला होता है और शेर से भी ज्यादा बलवान होता है। ऐसा अभिधान चिन्तामणि ३१० में उल्लेख मिलता है।
कैलाश तिब्बत प्रदेश में स्थित है । अष्टापद कैलाश के विषय में जानने के लिये तिब्बत के विषय में जानना आवश्यक है। प्राचीन काल से ही तिब्बत और काश्मीर के क्षेत्र को स्वर्ग कहा जाता था और मानव संस्कृति और सभ्यता का उद्गम स्थल भी तिब्बत को माना जाता है। P. N. Oak के अनुसार The term "Tibet" is a malpronounciation of the sanskrit term 'Trivishtap' meaning paradise. The holy peak kailas, the sacred Mansarovar lake and the venetrated sources of the river Ganga, Yamuna, Saraswati, Sindhu are all in Himalayan region. The supporting Arab tradition that Adam first stepped on the earth from the heaven in India points to the fact that Tibet, Kashmir and the Himalayan foot hills may be that region which is named heaven alias paradise and which has all associations.
Higgins के
अनुसार— The Peninsula of India would be one of the first peopled countries and its inhabitants would have all the habits of the progenitors of man before the flood in as much perfection or more than any other nation.
हिमालय पर्वत श्रृंखला में कैलाश एक असमान्य पर्वत है । समस्त हिम शिखरों से अलग और दिव्य । पूरे कैलाश की आकृति एक विशाल शिवलिंग जैसी है । यह आसपास के सभी पर्वतों से ऊँचा है। यह कसौटी के ठोस काले पत्थर का है जबकि अन्य पर्वत कच्चे लाल मटमैले पत्थर के हैं । यह सदा बर्फ से ढ़का रहता है । कैलाश शिखर को चारों कोनों के देखने से मन्दिर की आकृति बनी दिखती है। इसकी परिक्रमा ३२ मील की है। जो कैलाश के चारों ओर के पर्वतों के साथ होती है। कैलाश का स्पर्श यात्रा मार्ग से लगभग डेढ़ मी सीधी चढ़ाई पार करके ही किया जा सकता है जो अत्यन्त कठिन है ।
मत्स्य पुराण (कैलाश वर्णनम् पू. ३९४ ) में कैलाश के विषय में लिखा है
Adinath Rishabhdev and Ashtapad
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