Book Title: Ashtapad Maha Tirth Part 01
Author(s): Rajnikant Shah, Kumarpal Desai
Publisher: USA Jain Center America NY

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Page 507
________________ Shri Ashtapad Maha Tirth "Very nice. God ! I like very very Much". - Dhrumi (Mumbai) 5 yr. आपने हम यहां बैठे जीवो को भी दर्शन करवा कर जीवन सफल बनाया । ये प्रतिमाएँ विदेश में जाकर सर्व जीवो को शीघ्रता से शीघ्र घरघर में शांति एवं मोक्ष प्राप्त करवाए एवं आप और आपके परिजनो को भी अविहड प्रीति हो यह शुभेच्छा। શબ્દોમાં સમાય નહિ એવું આ મહાન, કેમ કરી ગાવા માટે તમારા ગુણગાન. જેનું વર્ણન કરવા અમારી પાસે શબ્દો નથી, જેને જોઈને આંખોમાં આંજીને કાયમ રાખી शडीओ. એવી અમારી દૃષ્ટિ નથી. જેના રૂપનું વર્ણન, કરી શકાય તેવું અમારી પાસે હૃદય નથી. બધુ ખુબજ સુંદર "Perfect" in everything. This exhibition will revive the spirit of Jainism. I am proud that I belong to such a great religion. The sculptures are very beautiful and no one else would have done it better. "A tear drop on the cheek of time." -Rabindranath Tagore- is what I would comment on this great architecture. keep it up. प्रभुजी की प्रतिमाएँ है इतनी न्यारी, लगती है सबको वो अति प्यारी, मूर्तियां है सबके मनको हरनारी, धन्य हो गये आज सब नरनारी। तीर्थंकर परमात्मा का साक्षात् दर्शन जैसा आनंद भगवान की प्रतिमाओं का दर्शन करते हुए हम सेंकडो आत्माएँ सम्यग दर्शन पाएगी वो लाभ सौ. नीरूबेन रजनीभाई को मिल रहा है यह भी हो सकता है कि वो शीघ्र मोक्ष में जानेवाली आत्मा हो एसा महसुस हो रहा है। बस एक ही कामना कर्म तूटे मोक्ष मीले । The arrangement of your group is very beautiful so nicely the facilities are given. This is the eight wonder of the world. Never before I have seen this type of exhibition in life. It is fabulous. Reflections. 36467 -

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