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अनुयो० मलधारीया
॥ १२२ ॥
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अत्थि णामे उवसमिएखओवसमनिप्फण्णे ६ अत्थि णामे उवसमिएपारिणामिअनि ७ अथ णामे खइएखओवसमनिष्फण्णे ८ अत्थि णामे खइएपारणामिअनिष्फण्णे ९ अस्थि णामे खओवसमिएपारिणामिअनिष्फण्णे १० । कयरे से. नामे उदइए समनिष्फण्णे ?, उदइएत्ति मणुस्से उवसंता कसाया, एस णं से णामे उदइएउवसमनिष्फण्णे १, कयरे से णामे उदइएखयनिप्फण्णे ?, उदइएत्ति मणुस्से खइअं सम्मत्तं, एस णं से नामे उदइएखयनिष्फण्णे २, कयरे से णामे उदइएखओवसमनिष्फण्णे ?, उदइएत्ति मणुस्से खओवसमिआई इंदिआई, एस णं से णामे उदइएखओवसमनिष्फण्णे ३, कयरे से णामे उदइएपरिणामिअनिप्फण्णे ?, उदइएत्ति मणुस्से पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइएपारिणामिअनिष्पणे ४, कयरे से णामे उवसमिएखयनिप्फण्णे ?, उवसंता कसाया खइअं सम्मत्तं, एस णं से मे उसमिखयनिष्कपणे ५, कयरे से णामे उवसमिएखओवसमनिष्फण्णे ?,
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वृत्तिः
उपक्र
माधि०
॥ १२२ ॥
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