Book Title: Anuyogadwarasutram Uttarardham
Author(s): Hemchandracharya, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 470
________________ अनुयो मलधारीया वृत्तिः उपक्रमे प्रमाणद्वारं ॥२३३॥ त्वात्सती पाण्डुपत्राणां तूपमेयभूता साऽवस्था भूतपूर्वत्वादसती 'तुन्भेविय होहिहा' इत्यादौ तु पाण्डुपत्रावस्थया किशलयपत्रावस्था उपमीयते, तत्राप्युपमानभूता पाण्डुपत्रावस्था तत्कालयोगित्वात्सती किशलयदलानां तूपमेयभूता सा भविष्यत्कालयोगित्वादसती, अतोऽसत्सता उपमीयत इति तृतीयभङ्गविषयता संगच्छते, सुधिया तु यदि घटते तदाऽन्यथाऽपि सा वाच्येति । चतुर्थभने 'असंतयं असंतएणे'त्यादि, यथा खरविषाणमभावरूपं प्रतीतं तथा शशविषाणमप्यभावरूपं निश्चेतव्यं, यथा वा शशविषाणमभावरूपं निश्चितमित्यमितरदपि ज्ञातव्यमिति भावः, एवं चोपमानोपमेययोरसत्त्वं स्फुटमेवेति ॥ से किं तं परिमाणसंखा?, २ दुविहा पण्णत्ता, तं-कालिअसुयपरिमाणसंखा दिद्विवायसुअपरिमाणसंखा य । से किं तं कालिअसुअपरिमाणसंखा?, २ अणेगविहा पपणत्ता, तंजहा-पजवसंखा अक्खरसंखा संघायसंखा पयसंखा पायसंखा गाहासंखा सिलोगसंखा वेढसंखा निज्जुत्तिसंखा अणुओगदारसंखा उद्देसगसंखा अज्झयणसंखा सुअखंधसंखा अंगसंखा, से तं कालिअसुअपरिमाणसंखा । से किं तं दिट्ठिवायसुअपरिमाणसंखा?, २ अणेगविहा पण्णत्ता, तंजहा-पजवसंखा जाव अणुओगदारसंखा ॥२३३॥ Join Education For Private Personal Use Only pelibrary.org

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