Book Title: Anuyogadwarasutram Uttarardham
Author(s): Hemchandracharya, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 511
________________ णिआणं सभंडोवगरणाणं आए, से तं मीसए, से तं लोगुत्तरिए, से तं जाणयसरीरभविअसरीरवइरित्ते दवाए, से तं नोआगमओ दवाए, से तं दवाए। से किं तं भावाए?, दुविहे पं०, तं०-आगमओ अ नोआगमओ अ । से किं तं आगमओ भावाए ?, २ जाणए उवउत्ते, से तं आगमओ भावाए । से किं तं नोआगमओ भावाए ?, २ दुविहे पं०, तं०-पसत्थे अ अपसत्थे अ। से किं तं पसत्थे ?, २ तिविहे पं० तं०-णाणाए दंसणाए चरित्ताए, से तं पसत्थे । से किं तं अपसत्थे ?, २ चउविहे पं० २०-कोहाए माणाए मायाए लोहाए, से तं अपसत्थे । से तं णोआगमओ भावाए, से तं भावाए, से तं आए। आयः प्रासिर्लाभ इत्यनन्तरम् , अस्यापि नामादिभेदभिन्नस्य विचारः सूत्रसिद्ध एव, यावत् ‘से कित अचित्ते?, २ सुवण्णे'त्यादि, लौकिकोऽचित्तस्य सुवर्णादेरायो मन्तव्यः, तत्र सुवर्णादीनि प्रतीतानि 'सिल'त्ति शिला मुक्ताशैलराजपट्टादीनां, रक्तरत्नानि-पद्मरागरत्नानि 'संतसावएजस्स'त्ति सद्-विद्यमानं खापतेयं SEARCRA Jain Education For Private & Personel Use Only H djainelibrary.org

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