Book Title: Anuyogadwarasutram Uttarardham
Author(s): Hemchandracharya, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

View full book text
Previous | Next

Page 515
________________ व्वभूएसु, तसेसु थावरेसु अ । तस्स सामाइयं होइ, इइ केवलिभासिअं॥२॥ जह मम ण पिअं दुक्खं जाणिअ एमेव सव्वजीवाणं । न हणइ न हणावेइ अ सममणइ तेण सो समणो ॥३॥ णत्थि य से कोइ वेसो पिओ अ सव्वेसु चेव जीवेसु । एएण होइ समणो एसो अन्नोऽवि पजाओ॥४॥ उरगगिरिजलणसागरनहतलतरंगणसमो अ जो होइ । भमरमियधरणिजलरुहरविपवणसमो अ सो समणो ॥५॥ तो समणो जइ सुमणो भावेण य जइ ण होइ पावमणो । सयणे अ जणे अ समो समो अ माणावमाणेसु ॥ ६॥ से तं नोआगमो भावसामाइए, से तं भावसामा इए, से तं सामाइए, से तं नामनिप्फण्णे । इहाध्ययनाक्षीणाद्यपेक्षया सामायिकमिति वैशेषिकं नाम, इदं चोपलक्षणं चतुर्विशतिस्तवादीनाम्, अस्थापि पूर्वोक्तशब्दार्थस्य सामायिकस्य नामस्थापनाद्रव्यभावभेदाचतुर्विधो निक्षेपः, अत एवाह-'से समासओ चउविहे' इत्यादि, सूत्रसिद्धमेव, यावत् 'जस्स सामाणिओ अप्पा' इत्यादि, यस्य-सत्त्वस्य सामानिक: LSANSLAAAAAASARAMESSA हवादापेमाथिकवायाव Jain Educat i onal For Private & Personel Use Only Vinaw.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546