Book Title: Anuyogadwarasutram Uttarardham
Author(s): Hemchandracharya, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 480
________________ अनुयो मलधारीया वृत्तिः उपक्रमे प्रमाणद्वार ॥२३८॥ खेजयं होइ, आवलिआवि तत्तिआ चेव, तेण परं अजहण्णमणुक्कोसयाइं ठाणाई जाव उक्कोसयं जुत्तासंखिज्जयं न पावइ । उक्कोसयं जुत्तासंखेज्जयं केवइ होइ ?, जहण्णएणं जुत्तासंखेजएणं आवलिआ गुणिआ अण्णमण्णब्भासो रूवूणो उक्कोसयं जुत्तासंखेजयं होइ, अहवा जहन्नयं असंखेज्जासंखेज्जयं रूवूणं उकोसयं जुत्तासंखेज्जयं होइ । जहण्णयं असंखेज्जासंखेजयं केवइअं होइ ?, जहन्नएणं जुत्तासंखेज्जएणं आवलिआ गुणिआ अण्णमण्णब्भासो पडिपुण्णो जहण्णयं असंखेजासंखेजयं होइ, अहवा उक्कोसए जुत्तासंखेजए रूवं पक्खित्तं जहण्णयं असंखेज्जासंखेज्जयं होइ, तेण परं अजहण्णमणुक्कोसयाइं ठाणाइं जाव उक्कोसयं असंखेज्जासंखेजयं ण पावइ । उक्कोसयं असंखेजासंखेजयं केवइअं होइ ?, जहण्णयं असंखेज्जासंखेजयमेत्ताणं रासीणं अण्णमण्णब्भासो रूवूणो उक्कोसयं असंखेजासंखेजयं होइ, अहवा जहण्णयं परिताणतयं रूवूणं उक्कोसयं असंखेज्जासंखेजयं होइ । ॥२३८॥ Jain Education IS2 For Private Personal Use Only Whainelibrary.org

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