Book Title: Anusandhan 1997 00 SrNo 10
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
View full book text
________________
4A
तथा निशीथ नंदिचूर्णि आवश्यकनियुक्ति अनुसारि ऋद्धिगारवने रंग तथाविध पदस्थगीतार्थनी आज्ञा लोपी पूर्वोक्तविधि विना योग वही सभा लक्ष आचारांगादिक वांचे ते अरिहंतादिकनो, द्वादशांगीनो प्रत्यनीक यथाछंदो कहिइं जे माटि तीर्थंकर अदत्त गुरुअदत्तादिकनो दोष घणां संभवे छे ॥५॥
श्रुतव्यवहारई पूर्वोक्त जीतव्यवहारइं वर्तमान गच्छनायकनी आज्ञा विना गीतार्थे पिण भव्यनें दीक्षा न देवी। कदाचित् गछाचार्य देशांतरई होइ तो वेषपालटो करावी चार अ.नी तुलना कराववा पिण योगपूर्वक सिद्धान्त न भणाववो ॥६॥
तथा आचारदिनकर प्रश्रोत्तरसमुच्चयादिकनइं अनुसारि हैमव्याकरण व्याश्रयादिकसाहित्य उत्तराध्ययनादि सिद्धान्त भणाववा असमर्थ एहवा पन्यास गणेश बे उपरांत शिष्य निश्राई न राखइं आचार्य पिण अधिकनी आज्ञा नापें । तपागछमांहि आचार्यनी ज दीक्षा होइं अने सुविहित गछांतरें आचार्यादिक ५ माहि एक नी दीक्षा होइ । श्रुतव्यवहारिं तो गीतार्थने ज दीक्षानी अनुज्ञा छै ॥७॥
__ तथा श्री सोमसुंदर प्रसादित जल्पनें अनुसारि तथा महानिशीथ आचारांगदिकनें अनुसारि अगीतार्थसंयत विशेषगुणवंत गछने अयोगि शिथल सुविहितगछनी आज्ञादि स्वेछाई प्रवर्ते ते सामाचारीना प्रत्यनीक जाणिवा ॥८॥
उपदेशमाला दशाश्रुतस्कंध निशीथभाष्य ज्ञातादिकनें अनुसार गुरुनी आज्ञाइं चोमासुं रहे विहारादिक करे अन्यथा सामाचारी माथा सूनी माटि गुरु अदत्तादिक दोष संभवे जे माटि व्यवहारभाष्यादिकने अनुसार स्वे देशानुगत वाणिज्यादिक कर्म साक्षि राजानी परि पंचाचारनो साक्षि सदाचार्य छइं। अत एव छ मास उपरांत आचार्य शून्य गछनी मर्यादा अप्रमाण थाय एहवो वृद्धवाद संभलाइ छे ॥९॥
कल्पभाष्य दशवैकालिक भगवती पंचाशक गछाचारपइन्नादिकने अनुसारि स्वतः परतः शुद्ध प्ररूपक ते सद्गुरु जाणिवो ॥१० ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126