Book Title: Anusandhan 1997 00 SrNo 10
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 76
________________ कडीना केटलाक वाक्यखंडो स्पष्ट थता नथी. - छेल्ली कडी 'कलश'नी छे. एमां संवत १३१५ना दुष्काळनी स्थितिनुं चित्रण छे. ज्यारे आ दुष्काळ काळ बनीने आवी लाग्यो त्यारे माबापोए बाळकोने पण अळगां कर्यां. त्यारे आ श्रीमाणी (जगडूशा)ए करेलुं अन्नदान दीपी ऊठ्यु. अनर्गळ पुण्य प्राप्त करनार आ जगडूशा पासे राजाओए पण अनाज माटे हाथ लंबाव्या. जगडूशाए कनकगिरि गढ कराव्यो अने शत्रुजय पर्वत पर संघ लई गया. आम एमना जीवननी केटलीक ऐतिहासिक घटनाओ उल्लेखी कवि काव्य समाप्त करे छे. ____ जो के कविए छंदनो नामनिर्देश कर्यो नथी, पण आरंभनी कडी बेअक्षरी आर्या छंदमां छे. अमां प्रत्येक चरणनी १६ मात्रा छे अने बब्बे चरणना चरणान्त चतुष्कलना प्रास मळे छे. 'नामह-ठामह', कीधी-लीधी. ते पछीनी कडी १ थी ४ लीलावती छंदमां छे. प्रत्येक कडी चार चरणनी छे. जोके पहेली कडीनी आगळ कविए तो मात्र 'छंदः' एटलो ज निर्देश को छे पण चरणनी ३२ मात्रा अने १०, ८, १४ मात्राना त्रण यतिखंडो सूचवे छे के आ कडीओ लीलावती छंदमां छे. आ कडीओ, गेयतत्त्व अचूक ध्यान खेंचशे. 'कलश कवितं' शीर्षक साथे पळती पांचमी कडी छप्पयमा छे. एनां पहेलां चार चरण रोळानां अने छेल्लां बे चरण उल्लालानां छे. रोळा ११+१३ = २४ मात्रानो अने उल्लाला १५+१३ = २८ मात्रानो बनेलो छंद छे. आ कृति हजी अप्रगट छे. बीजी कृति बे कडीनी छे. एने लेखनकारे 'जगडूसाह कवित्तयुगल' तरीके ओळखावी छे. पहेली कडीमां, जुदा जुदा देशना राजवीने जगडूशाए केटलुं अनाज आपीने मदद करेली एनुं आलेखन छे. (गुजरातना राजा) वीशलदेवने आठ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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