Book Title: Anusandhan 1997 00 SrNo 10
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 86
________________ 81 छे तेमां एक छे, 'गूमडुं थयुं होय त्यां रगना मूळमां थती गांठ.' 'सार्थ 'जोडणीकोश'मां ए आप्यो नथी. गोहिलवाडमां ए अर्थमां ओळंभो शब्द प्रचलित छे। कोशे उच्चारणमां तेनो पहेलो ओ विवृत आप्यो छे (ओ), परंतु गोहिलवाडीमां ते संवृत छे । २. हेमचंद्रनी 'देशीनाममाला' मां ओलिंभा शब्द 'ऊधई' ना अर्थमां आप्यो छे । प्राकृत कोशमां तेनो प्रयोग वाक्पतिराजना प्राकृत महाकाव्य 'गउडवह' मां होवानो निर्देश छे । 'गउडवह'नी ३४१मी गाथामां एक कलेवरना वर्णनमां कह्युं छे के पहेलां ए व्यक्ति जीवंत हती त्यारे तेना मुख उपर जे कस्तूरी अने चंदननी पत्रलेखा के पत्रभंगी शोभती हती, तेनुं स्थान अत्यारे ऊईए करेली माटीनी वांकीचूंकी भातोए लीधुं छे । 'गउडवह'ना संपादक न. ग. सुरुए। टीकाकारे आपेल ओलिंभानो उपदेहिका एवो अर्थ (उपदेहिका एटले 'ऊधई') न समज्या होवाथी, 'लेप' एवो अर्थ कर्यो छे । 'अभिधानचितामणि' मां हेमचंद्रे ऊधईना अर्थमां उपदेहिका अने वम्री आप्या छे । 'ऋग्वेद' मां वम्र, वम्रक 'कीडी' मळे छे. वम्रीकूट एटले परंपरागत संस्कृत कोशोमा 'राफडो' (जेमके 'अभिधानचिंतामणि', ९७१) । ३. हवे गुजराती ओळंभोनो उपर जे अर्थ नोंध्यो छे, ते जोतां प्राकृत ओलिभानो अर्थ 'ऊधईनो राफडो' एवो पण थतो होवो जोईए. ऊपसेली गांठने नाना फडा साथै सरखावी शकाय, अने सपाट स्थळे कशुंक ऊपसी आव्यं तेनी समानता पण चींधी शकाय । वम्री 'ऊधई' उपरथी साधित वल्मीक 'राफडो' आना समर्थनमां आपी शकाय । ४. प्राकृतमां राफडा माटे रप्फ तेम ज वामलूर एवा बीजा पण बे शब्द छे । 'पाइअलच्छीनाममाला' मां रफ्फा, वमीअ नो अर्थ 'हाथीपगानो रोग' एवो पण आप्यो छे, जे ए रोगमां पग सूझीने राफडा जेवो जाडो थाय छे ते हकीकत सूचवे छे। शीलांकाचार्यकृत 'चाउपन्नमहापुरिसचरिय' मां ( रचना वर्ष ८६९) सनत्कुमारने थयेला रोगोमां चलणे रप्फओ 'पगमां हाथीपगुं एवो निर्देश छे. (पृ. १४४, प. १२) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.

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