Book Title: Anusandhan 1997 00 SrNo 10
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 57
________________ 52 ऐं नमः ॥ आसाउरी ॥ ॥ १॥ ॥ २॥ ॥ ३॥ दूहा स्वस्ति श्रीऋषभंजिनं , श्री नाभिनरेन्द्रमल्हार । कनकवर्ण काय जेहनी, पंचशतधनुष उदार' संतिकरण संतीश्वरू सोलसमु जिनचंद । अचिरा माता उअरई धर्यो, विश्वरेन नृपचंद निज भुजबल हरि तोलियो, तजी जेणइं राजकुमार । गिरिवर रजइ संयम लीयो, जय जय नेमकुमार महिमा जेहनु जागतु, पूरई वंछित आस । त्रेवीसमु तीर्थंकरु, संकट भंजन पास बालपणइं जेणई चालियो, हेला मेरुगिरिंद। वासवचित्त चमक्कियो, अंतिम वीरजिणिदं इति पंचतीर्थी प्रति, प्रणमी लिखइ वर लेख । पुन्यहरष गुरु हीरनइ, फतेपुर नयर विशेष हंसतणी परि उज्जलो, वर्णन अधिक विचित्र । पंडित इव ते साक्षसो, वर्ण सुवर्ण सचित्र ॥ ४॥ ॥ ६॥ ॥ ७॥ ढाल ॥ ८॥ आरब-हबस-रोम-खुरासान काबिलनइ कंकाल । सब्बर-बब्बर-भिंभर-मुहर फरंगनइ प्रतिकाल जंगल-बंगल-गख्खर-भख्खर ठठानई बंगाल । हल्लार-लाहोर-उंच-महाउंच चीन-महाचीन-पंचाल ॥९॥ भोट-महाभोट-लाट-कासमीर करणाट-बईघाट-बंबाल । उड्त-गुडंत- भुटंत- भोटियो भाटी भोम भंभाल ॥१०॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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