Book Title: Anusandhan 1997 00 SrNo 10
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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सिष्य सरिखं काजजी प्रसाद करयो गुरुराजजी।
. गुरुराजजी शिष्य उपरि मया करीओ ॥१०२॥ वंदन गुज्जर संघनी अवधारवी ते सहूअनी ।। बालगोपालतणी प्रभु ओ
॥ १०३॥ दूहा सकलसंघ गुजरातिर्नु उह्मायो दर्शनकाज श्रीगुरुहीरजी तुम्ह तणइं मुकी निज निज काज ॥ १०४।। हीरविजइ सूरीस परमगुरु वाल्हा आवोनइ गुजरांति रे हवइ आवो नइ गुजराति रे, मोहन आवो नइ गुजराति रे, जगगुरु आवो नइ गुजराति रे, स्युं मोह्या तेणई देसडइ इहां समरइ संघ दिनरात्तिरे, तुम्हने समरइ जसंगजी दिनराति रे हीर०
|| १०५॥ समरइ जीम गयंद विंध्याचल विरहणी जिम भरतार रे चकवी जिम चकवानइ समरइ कोकिला जिम सहकार रे
- हीर० ॥ १०६॥ मोर घनाघननइ जिम समरइ जिम सतीअ सीताराम रे समरइ जिम चकोर निसाकर दमयंती नल नाम रे हीर० ॥ १०७॥ जिम समरइ मानसरोवर हंसा भमरा जिम मकरंद रे चिदानन्दपदनइ जिम समरे लयलीनो जोगिंद रे हीर० ॥ १०८॥ माता जिम बालकनि समरि चंदन वन भोअंग रे बाछरुनि गो जिम समरे तापस निर्मल गंग रे हीर० ॥१०९॥ जुआरी जिम सरिदाने धन रहीत हेम हेम रे बलदेव जिम समरि हरिनि राजीमती जिम नेमरे हीर० ॥ ११०॥ नलनी जिम समरि दिनकरनि श्री गौतम वीर वीर रे पुण्यवंत जिम समरि पुण्यनि तीम ईहा एक हीर हीर रे
हीर० ॥ १११॥
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