Book Title: Anusandhan 1997 00 SrNo 10
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
View full book text
________________
लख्ख-सवालख्ख-पाल-नेपाल सिंधु अनइ सोवीर । हिच्छं-भुच्छ-भुंच्छाल-जटाला हम्म-हाम्म-हम्मीर ॥ ११॥ अंग-वंग-कुलिंग-तिलंगा गोड-चोङ-कनोज । भाल-भलिंद-मगध-मागध पाली-पंथ-कंबोज ॥१२॥ कासी-कोसल-करठ-मरहठ बहुलीनइ जट-जाट । निमच-नील-नलउ नीलाब नीलकंठ कैरखाट ॥ १३॥ कछ-महाकछ-कुंकण-कलहत्थ पाखर-पंड-खंडोर ।। गाजण-गंगापार-पूरवियो पारदल पंडोर
॥१४॥ उटकोट-अघाट-कलिंजर स्यालकोट चउसाल । कल्हर-काल्हर-होर-हाडोटी हुर हार हम्मीर ॥१५॥ कुरूप-कारूप-जालंधर-चिल्लर डाहल डंड डंडीआण । कान्हड-कचूउ-कल्ल-कल्लंदर मंड-मंडोर-मंडाण ॥१६॥ विकंड-घाट-लुंटाक-गुआलेर नरवर पंच भरतारो । स्त्रीराजा राज करई जिहां हइ हनुमन्त हकारो ॥१७॥ भरड भोरदर गुंड गुंडवाणो दक्खण सच्च साचोरो । सोवन्न भिन्नमाल भल सिंहल छपन धूत धूतारो ॥१८॥ कुणाल कामरु महीमड मालव खानदेस नमीआड। दम्मण सोरठ गुज्जर वागड मारुआड मेवाड ॥ १९॥ इत्यादिक जे देस सवालख्य तेहमांहि विख्यात । मध्यखंड विराजइ महीअल मोटो देस मेवात ॥२०॥
दूहा सकल देस मुखमंडनो श्री मेवात वडदेस । अकबर राज करतइ जिहां नहीं परदल प्रवेस ॥ २१॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126