Book Title: Antar ke Pat Khol
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 8
________________ शांति का मार्ग : वर्तमान की बोध : वृत्ति और प्रवृत्ति का द्रष्टा भाव : अध्यात्म की आत्मा अंतर के पट खोल - वृत्ति, वृत्ति-बोध, वृत्ति निरोध भेद - विज्ञान : साधक की अन्तर्दृष्टि . साधना के सोपान चरैवेति-चरैवेति मर्पणव परमेश्वर हमारे पास. एक ओंकार सत नाम ॐ : सार्वभौम मंत्र. अनुक्रम Jain Education International 'अनुपश्यना ध्यान और प्रेम : जीवन के दो आनंद-सूत्र पहचानें स्वयं को - ‘कौन हूँ मैं' ? साधना का आदर्श : वीतराग तुर्या : भेद-विज्ञान की पराकाष्ठा सहज मिले अविनाशी .. कैवल्य के द्वार पर . For Personal & Private Use Only 9 18 28 40 48 58 66 77 84 93 100 106 112 118 126 131 140 145 www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 154