Book Title: Anitya Panchashat Author(s): Padmanandi Acharya Publisher: Motilal Trikamdas Malvi View full book textPage 9
________________ सारे पड़ी धर्मने रस्ते प्रेराशे एवो आ " अनित्य पंचाशत" वहार पाडवानो हेतु छे... में आ विषयपर आगळ उपर घणुं कहेवामां आव्युं छे. आ चाल सारो छे, एम कही कोई तेनी हीमायत करतुं नथी, तेम ते फरज पाडी बंध करवाने पण कोई तैयार थतुं नथी. आ विषयपर मारे केटलीक वखते वर्तमानपत्र तेमज भाषणोद्वारा चर्चा करवानी जरुर पडी हती, छतां तेमांनी कंईपण असर थई होय तेम जणातुं नथी. रडवू ए स्वभाविक रीते कोई पण ह्रदयभेदक बनाव जोई अगर सांभळीने दरेक माणसने आवी जाय छे केमके एतो करुणारसनो एक भाग छ तोपण अति शोक करवो ए बीलकुल पसंद करवा योग्य नथी. शास्त्रकारोए पण " अति सर्वत्र वर्जयेत" एम जणावेलुं छे. . .... विष्णुना गरुडपुराणमां पण जणावेलुं छे के मरनारनी पूठे बनी शके तेटला धार्मीक कसो करवां. एथी मरनारने पूर्वे कई अनुमोदना थई होय अगर जम्मान्तरमां थाय तो तेथी तेने लाभ थाय छे. आवी रीतनो मळवानो खरो लाभ ते छोडी दई मरनारने दुःख तथा तेनी पछवाडेनां कुटुंबी ( सहोदर ) माणसोनी तन्दुरस्तीनी पायमाली तेमज अमयदि वगेरे दोषो दाखल थाय छे. ते वरफ ध्यान आपता जोवामां आवे छे..Page Navigation
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