Book Title: Anitya Panchashat
Author(s): Padmanandi Acharya
Publisher: Motilal Trikamdas Malvi
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स्त
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मृत्युथी बीहे छे. एवी रीते सुखनी वांच्छनाथी अने मरणना भयथी चित्त आशक्त करीने मूर्ख लोक मोहने वश थई आ. दुःवरुपी लहरो (Waves) थी भरेला संसाररुपी भयंकर समुद्रमां पडे छे.
खसुखपयसि दिव्यन्मृत्युकैवर्तहस्त प्रसृतघन जरोरु प्रोल्लसज्जाल मध्ये ॥ निकट मपि न पश्यत्यापदां चक्रमुग्रं भवसरसि चराको लोकमीनौघ एषः ॥ ३७॥
भावार्थ:-आ लोकरुपी माछलानो समुदाय (Multitude) संसाररुपी सरोवरमा मृत्युरुपी धीवरे फेंकेला वृद्धावस्थारूप (Like old age) मयंकर जाळामां इंद्रिय सुखरुपी जलमां क्रीडा करतो छतो पोताना उपर धोर संकट नजीक आव्यु छतां पण जोतो नथी. शृण्वनंतकगोचरं गतवतः पश्यन् बहून् गच्छतो मोहादेव जनस्तथापि मनुते स्थैर्य परं ह्यात्मनः ॥ संप्रातेऽपि च वार्द्धके स्पृहयति प्रायोन धर्मायय चनात्यधिकाधिकं खमसकृत्पुत्रादिभिबंधनैः॥३८॥

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