Book Title: Anitya Panchashat
Author(s): Padmanandi Acharya
Publisher: Motilal Trikamdas Malvi

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Page 37
________________ (३६) रखा माणसे समुद्र ओळंगीने मारी नांख्यो. अने एवा रामचंद्र सरखा पराक्रमी वीर पुरुष पण काळथी छुट्या नथी तो बीजो कोण एवो वळवान छे जे काळथी बचे ? कोईज नहीं. सर्वत्रोद्गत शोक दावदहन व्याप्तं जगत्काननं मुग्धास्तत्र वधूमृगी गतधिय स्तिष्ठंति लोकैणकार कालव्याध इमानिहंति पुरतः प्राप्तान् सदा निर्दय स्तस्माजीवति नो शिशुनच युवावृद्धोऽपि नो कश्चन ॥ ३४ ॥ ___ भावार्थ:-आ संसाररुपी वन जे छे ते उपजेला शोकरुपी दावानलथी व्यापी गयेलुं छे एवा संसार वनमां मूर्ख लो. करुपी मृग रहे छे. अने ते स्त्रीरुपी हरिणीना विषयमा लपटाई गयो छे. एवा लोकरुपी मृग काळरुपी पारधीना सामा आवी उभा थयेला छे. तेमने आ निर्दय काळरुपी पारधी मारी नांखे छे. मादे आ काळरुपी पारधीना सपाटामांथी बाळक हो, जुवान हो, अथवा वृद्ध हो तेमांनो कोईपण बची शक

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