Book Title: Anitya Panchashat
Author(s): Padmanandi Acharya
Publisher: Motilal Trikamdas Malvi

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Page 40
________________ भावार्थ:-आ माणस घणाएक जीव मृत्यु पाम्या र सांमळे छे तथा पोतानी नजरे जुए छे. तथापी मोहने वश : थई पोतानुं जीवतर एवीज रीते कायम (अमर) रहेशे एम. माने छे ! वळी वृद्धापकाळ आव्यो तोपण वैराग्यनी ईच्छा करतो नथी, अने पोताना पुत्रादिकना बंधनां वधारे वधारे बंधाय छे. दुश्चेष्टा कृतकर्म शिल्पिरचितं दुःसंधिदुर्बधनं सापायस्थितिदोषधातुमलवत्सर्वत्र यनश्वरं ॥ आधि व्याधि जरा मृतिप्रभृतयो यच्चात्र चित्रं न तत्तचित्रं स्थिरता बुधैरपि वपुष्यत्रापि यन्मृग्यते।३९ भावार्थ:-आ शरीर पापकर्मरुपी-शिल्पिकारे बनावेलं छे. जुओ, आ शरीरना सांधा अने बांधा केटला नबळा छे? वळी तेने बगडतां पण वार नथी, आखा शरीरमां खराव धातू अने मळमूत्र भरेलां छे. आ शरीर नाशवंत छे. तेना लीधे आ संसारमा जे मानसिक दुख अने शारीरिक पीडा तथा वृद्धावस्था, मरण अने घणाएक रोग, वगेरे होय तेमा कांई आश्चर्य नथी. पण आश्चर्य तो ए छे जे एवा नाशवंत शरीरना विषे समजु लोको पण स्थिरता धारे छे,

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