Book Title: Anitya Panchashat
Author(s): Padmanandi Acharya
Publisher: Motilal Trikamdas Malvi

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Page 43
________________ तर ए वेज चीजो सार मात्र छे अने ते बननी एवी क्षणमंगुर स्थिति जोवामां आवे छे. तो वळी वीजा कया विषयमां ज्ञानी जने गर्व करवो? कोईपण बाबतनो गर्व करवो नहीं. हंति व्योम स मुष्टिनात्रसरित शुष्कांतरत्याकुलस्तृष्णाळ्थ मरीचिकाः पिबति च प्रायः प्रमत्तो भवन॥ प्रोत्तुंगाचलचूलिकागतमरुत्प्रेखत्प्रदीपोपमैर्यः संपत्सुतकामिनी प्रभृतिभिः कुर्यान्मदं मानवः।४३ .. भावार्थ:-आ संसारपां. जे माणस संपदा, स्त्री, पुत्र, ईत्यादिनो गर्व करे छे; ते मूर्ख पोतानी मुष्टीथी आकाशने ताडन करे छ; अथवा मुकायेली नदीमा तरवा जाय छे; किंवा उन्मत थयो थको तृष्णाथी पीडाईने मृग जळ पीवा दोडे छे. कारण संपदा अने स्त्री पुत्रादिक जे छे ते ऊंचा पवतना शिखर ऊपर छुटेला पवनमा मूकेला दीवा जेवां छे. तेने नाश थतां कईवार नथी, एम समजीने कोईपण चीजनो गर्व न करवो. लक्ष्मी व्याध मृगीमतीव चपल मश्रित भूया मृगाः

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