Book Title: Anitya Panchashat
Author(s): Padmanandi Acharya
Publisher: Motilal Trikamdas Malvi
View full book text
________________
(१७) केवो मूर्ख कहेवाय ? कालेन प्रलयं व्रजति नियतं तेपींद्रचंद्रादयः कावार्तान्य जनस्य कीटसदृशोशक्तेरदीर्घायुषः।। तस्मान्मृत्यु मुपागते प्रियतमे मोहं मुधा माकथा कालः क्रीडति नात्र येन सहसा तत्किचिद
विष्यतां ॥५१॥ - भावार्थ:-हे भव्य प्राणीओ तमे सांभळो. आ काळना लीधे इंद्र, चंद ईत्यादिक पण निश्चये करी नाश पामे छे. त्यारे बीजानी तो वातज शी? कारण बीजा जीव तो पतंग जेवा छे, अशक्त छे, अने थोडां आर्युदावाला छे. वास्ते कोई ईष्ट (वाहालं) मरी जवाथी विना कारण मोह करीश नहीं. अने एवं कांई आत्मावलोकन कर के जेनाथी आ शरीर काळना सपाटामां न आवे.. . . संयोगो यदि विप्रयोगविधिना चेजन्मतन्मृत्युना संपञ्चे द्विपदा सुखं यदि तदा दुःखेन भाव्यं ध्रुवं ॥ संसारेत्र मुहुर्मुहुर्बहु विद्यावस्थांतर प्रोल्लसद्वेषान्यत्वनटीकतांगिनि सतः शोकोनहर्ष क्वचित् ५५

Page Navigation
1 ... 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78