Book Title: Anitya Panchashat
Author(s): Padmanandi Acharya
Publisher: Motilal Trikamdas Malvi

View full book text
Previous | Next

Page 35
________________ मीनादयश्च जलएव यमस्तु याति सर्वत्र कुत्र भविनां भवति प्रयत्नः ॥३१॥ ___ भावार्थः-चंद्र, सूर्य, वायु, ग्रह ईत्यादि नभ चरजीवआकाशमां विचरे छे. घोडा, गाडीओ, बळद, विगेरे थलचर प्राणी जमीनपर चाले छे. माछलां आदि जलचर जीव पाणीमां रहे छे. पण यमराज एटले काळ जे छे ते बधा ठेकाणे पहोंचे छे. वास्ते पाणीओने मरणथी बचवानो रस्तो मुक्ति* (मोक्ष) विना वीजो क्यां छे ! कोईपण ठेकाणे नथी. किं देवः किमुदेवता किमगदो विद्यास्ति किं . किं मणिः किं मंत्रः किमुताश्रयः किमुसुत्दृकिंवा सं गधोस्ति सः . * जीव ज्यांसुधी शुभाशुभ कर्म कर्या करे छे त्यांसुधी जन्म मरणनी संतति चाल्या करे छे तेने संसार कहे छे. पण जीव ज्यारे कमै रहित थाय छे अर्थात शुद्ध अवस्थाने प्राप्त थाय छे त्यारे तेनी मुक्ति केहेतां मोक्ष थाय छे.

Loading...

Page Navigation
1 ... 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78