Book Title: Anitya Panchashat
Author(s): Padmanandi Acharya
Publisher: Motilal Trikamdas Malvi

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Page 34
________________ (३३) सहि शोकं मृते कुर्वन् शोभते नेतरः पुमान् ॥२९॥ भावार्थ:-आ संसारमा जे माणस मरण पाम्यो नथी, अथवा मरण पामवानो नथी, तेवो माणस शोक करतो शोभे, पण जे पुरुष काळने स्वाधीन छे ते शोक करे तो ते शोभतो नथी. प्रथममुदयमुच्चैर्दूरमारोहलक्ष्मी मनुभवति च पातं सोपिदेवो दिनेशः॥ यदि किल दिनमध्ये तत्र तेषां नराणां वसति हदि बिषादः सत्स्ववस्थांतरेषु ॥३०॥ भावार्थ:-आ संसारमा दिनपति ने सूर्य सरखा देव ते पण एक दिवसमां ऊंचा ठेकाणे चढीने पोतार्नु पूर्ण तेज प्रकाशे छे, अने पाछो नीचो आवी जाय छे ज्यारे एवा संसारमां केटलीए अवस्थाओ बदलाई जाय छे त्यारे मृत्यु थयु ए पण एक अवस्था बदलाई कहेवाय माटे तेने वास्ते कोण खेद करशे! आकाश एव शशि सूर्य मरुत्खगाद्याः भूपृष्ठ एव शकट प्रमुखाश्वरंति ॥

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