Book Title: Anitya Panchashat
Author(s): Padmanandi Acharya
Publisher: Motilal Trikamdas Malvi

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Page 33
________________ प्रसरति शतशाखं देहिनि क्षेत्र उप्त वट इव तनुबीजं त्यज्यतां सप्रयत्नात् ॥२७॥ भावार्थ:-कोई आपणुं वहालुं सगुं मरण पामवाथी अतिशय शोक करयो तेथी असाता कर्मनो वंध पडे छे, अने ते कर्म आगळ जतां सेंकडो घणु केलाय छे. जेम वडनुं बीज झी' छे तोपण जमीनमां वावीए तो तेनुं मोटुं वृक्ष थाय छे तेम असाता कर्म बधे छे एम समजीने शोक मटाडवानो प्रयत्न करवो जोईए. आयुः क्षतिः प्रतिक्षण मेतन्मुखमंतकस्य तत्रगताः॥ सर्वे जनाः किमेकः शोचयत्यन्यं मृत मूढः ॥२८॥ भावार्थ:-आर्युदानो क्षय तो समय समय पति थयां करे छे, आर्युदानो नाश तो काळy मोडंज छे एम समजवू, अने ते काळना मोंढामां बघायने जवानुं छेज. तेम छतां एक माणस बीजाना मरणने माटे शोक करतो बेसे छे, ते मूर्ख के नहीं. योनात्र गोचरं मृत्योर्गतो याति नयास्यति ॥

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