Book Title: Anitya Panchashat
Author(s): Padmanandi Acharya
Publisher: Motilal Trikamdas Malvi

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Page 31
________________ (३०) भूतप्रेत पिशाच फेरवचितापूर्णे श्मशाने गृह कः कृत्वा भयदाद मंगल कृतादावाद्भवेच्छं कितः ॥ २४॥ भावार्थ:-लोकने आ कई भ्रम छे के लोकनी मूर्खता छे ? कारण अनेक जातना दुःखथी. भरेला एवा संसारमा रहे छे, अने दुःख आवे त्यारे पाछो रोतो बेसे छे. जुओ, ज्यां श्मशानमा मडदां बळतां होय, भूत पिशाचना भयंकर शब्द थता होय, ज्यां बधुं अमंगळ देखीतुं होय, त्यां घर बांधीने बेसवु अने त्यां भूतनी बीक हशे के शुं? एवी शंका - करवी ते केवु कहेवाय ? भ्रमति नभसि चंद्रः संसृतौ शश्वदंगी लभत उदयमस्तं पूर्णतां हीनतां च ॥ कलुषित हृदयः सन्याति राशिंचराशे स्तुनुमिह तनुतस्तत्कोत्र मुत्कश्च शोकः ॥२५॥ भावार्थ:-जेम चंद्रमा आकाशमां सदा काळ भ्रमण करे छे, तेम आ संसारमा पाणी पण भ्रमण करे छे. जेम चंद्रमानो उदय अस थाय छे तेम पाणी मात्र पण उपजे छे अने

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